विश्व हिन्दी दिवस- हिन्दी की दशा और दिशा के लिए जागरूक होना जरूरी

 




सलीम रज़ा


 



आज विश्व हिन्दी दिवस है और हमारा दायित्व भी बनता है कि हम हिन्दी भाषा के उन्नयन,उत्थान के लिए अपने प्रयास को अनवरत जारी रखें, साथ ही लोगों में भी हिन्दी के प्रति जागरूकता पैदा करें। वैसे हिन्दी दुनिया भर में पढ़ी और बोली जाने वाली भाषा के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है। आज हिन्दी को दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा का गौरव हासिल हुआ है। वैसे तो हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को मनाया जाता है लेकिन 10 जनवरी को हिन्दी दिवस मनाये जाने के पीछे मंशा ये है कि राष्ट्र के अलावा दुनिया भर में हिन्दी को सम्मान दिलाने के लिए अन्तर्रराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रचार प्रसार की आवश्यकता को समझा गया, लिहाजा 10 जनवरी 2006 के बाद से हर साल इसी दिन अन्तर्रराष्ट्रीय हिन्दी दिवस को मनाया जाने लगा। हिन्दी भाषा विश्व की सबसे पुरानी, समृद्ध और आसान भाषाओं में से एक भाषा है। आप अपने आपको गौरान्वित महसूस करेंगे कि अब भारत में 47 फीसद से ज्यादा लोग हिन्दी भाषा बोलते हैं। अगर हम 2001 के आंकड़ों को देखें तो महज 41 फीसद के आसपास लोग हिन्दी भाषा का प्रयोग किया करते थें लेकिन 10 साल के अन्तराल के बाद जब हम आंकड़ों पर नजर दौड़ाते हैं तो पाते हैं कि 2011 आते-आते देश में हिन्दी पढ़ने और बोलने बालों की संख्या में तकरीबन दस करोड़ लोग और जुड़ गये ऐसे में आप सहज अन्दाजा लगा सकते हैं कि हिन्दी देश की सबसे ज्यादा पढ़ी और बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है।


हिन्दी बोलने वाले देशों में बांगलादेश,पाकिस्तान,अमेरिका,भूटान,नेपाल, ब्रिटेन,त्रिनीदाद,गुयाना,सूरीनाम,संयुक्त अरब अमीरात,दक्षिण अफ्रीका, मारीशश,युगांडा, जर्मनी, और न्यूजीलैण्ड समेत कई देशों में हिन्दी भाषा बोली जाती है। हिन्दी भाषा के विस्तार की बात करें तो मेलोनेशिया के फिजी नाम का एक द्वीप जो प्रशान्त महासागर में पड़ता है वहां हिन्दी भाषा को अधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है, इसे फिजियन हिन्दी कहा जाता है जिसके अन्र्तगत अवधी, भोजपुरी बोलियों का मिश्रण है। अब भी हमें आपको हिन्दी भाषा की ताकत पर शको-सुवह है, आज आप खुद देख रहे हैं कि ज्यादातर विदेशी कम्पनियां हिन्दी को प्रोत्साहित कर रही हैं। आप के हाथ में मोबाईल फोन है और आप इन्टरनेट का इस्तेमाल तो जरूर करते होंगे फिर देर किस बात की आप खुद ही देख सकते है कि दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल के अन्दर अंग्रेजी के मुकाबले हिन्दी और दूसरी क्षेत्रिय भाषाओं में लिखे गये कान्टेन्ट को प्रमुखता के साथ स्थान दिया जा रहा है। एक अनुमान ये भी है कि 2021 तक हिन्दी में इन्टरनेट प्रयेग करने वालों की तादाद अंग्रेजी में इन्टरनेट इस्तेमाल करने वालों से कहीं ज्यादा पहुंचने का अनुमान है।


 गुगल इस बात की पुष्टि करता है कि हिन्दी में कन्टेन्ट पढ़ने वले लोगों की तादाद हर साल 94 फीसद बढ़ रही है, वहीं अ्रगेजी में कन्टेन्ट पढने वाले लोगों की तादाद घटकर 17 फीसद तक पहुंच चुकी है। ये सारी बाते हमें खुश रखने के लिए बहुत हैं कि हिन्दी भाषा निरन्तर प्रगति के पथ पर है, लेकिन इसे दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहेंगे कि आज भी हिन्दी का इतना बृहद शब्दकोष होने के वावजूद लोग हिन्दी बोलते और लिखते समय अ्रग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल करने से परहेज नहीं करते? इसमें कोई शक नहीं है कि हिन्दी सबसे व्यापक रूप में प्रयोग की जाने वाली भाषा है लेकिन अंग्रेजी के प्रति अभी भी हमारे भारत के लोगों में रूझान साफ तौर पर दिखलाई देता है । आज जिन पब्लिक स्कूलों में हमारे बच्चे पढ़ते हैं वहां अंग्रेजी भाषा पर जोर दिया जाता है यहां तक कि सरकारी स्कूलों में भी शुरूवाती शिक्षा में अंग्रेजी जोड़ दी गई है,जिससे एक बार फिर ऐसा लगने लगता है कि हिन्दी डगमगाने न लगे। इसके लिए हमें लोगों को हिन्दी भाषा के इस्तेमाल के लिए जागरूक करना बेहद जरूरी है। विश्व हिन्दी दिवस उसी दिशा में उठाया जाने वाला एक कारगर कदम है। ये दिवस हिन्दी को अग्रणी बनाये रखने के मकसद से एक महान कार्य है, ये हिन्दी के प्रचार-प्रसार के दरम्यान एक मजबूत कड़ी है इस दिवस पर जहां विदेशों में भारतीय दूतावासों में विशेष कार्यक्रम आयेजित किये जाते हैं इसे देखकर हमें गर्व होना चाहिए कि आज हिन्दी भाषा दुनिया भर में अपना परचम लहरा रही है ।


आज दुनिया भर में हिन्दी पढ़ने और लिखने वालों का संख्या में वृद्धि हुई है हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भाषा गुजराती थी लेकिन वे जनसम्पर्क के लिए हिन्दी भाषा को ही सर्वश्रेष्ठ मानते थे। उन्होंने कहा था कि अगर हमें अपने देशवासियों के दिलों में जगह बनानी है तो हमें हिन्दी भाषा का प्रयोग करना होगा। हम ये क्यूं भूल जाते हैं कि हम भारतीयों को दुनिया में हिन्दी ही सम्मान हासिल कराती है इसी का परिणाम है कि आज दुनिया भर में तकरीबन 80 करोड़ लोग हिन्दी बोलते हैं। आज दुनिया भर में हिन्दी अपना लोहा मनवा चुकी है इसे देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि हमारी राजभाषा हिन्दी चीन की राजभाषा को पीछे करके नम्बर एक बनेगी। हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि सर्वप्रथम हम भारतीय हैं और भारतीय होने के नाते हमें अपनी राष्ट्रीय भाषा का सम्मान करना चाहिए और उसके उतरोत्तर विकास के लिए विभिन्न आयोजनों के माध्यम से लोगों को जागरूक करते रहने चाहिए। यह दिन हमें हमारी असली पहचान की याद ही नहीं दिलाता बल्कि हम भारतीयों को एकजुट भी करता है, हम जहां भी जायें अपनी भाषा,संस्कृति और मूल्य हमारे साथ हों ये सिर्फ भाषा को जीवंत रखने का दिन नहीं है बल्कि विश्व हिन्दी दिवस एक ऐसा दिवस है जो हमें देशभक्ति भावना के लिए प्रेरित करता है। 


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