बच्चों के विकास के लिए सदैव चिंतित रहते थे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी

 



14 नवंबर को महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और हमारे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पूरे देश में बाल दिवस के रूप में मनायी जाती है क्योंकि बच्चों के लिए उनका असीम प्यार और स्नेह था। वह आधुनिक भारत के निर्माता थेए ना केवल स्वतंत्रता की लड़ाई में बल्कि सामाजिक परिवर्तन में भी उनका बड़ा योगदान था। उन्हें बच्चे प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थेए क्योंकि वे बच्चों के बहुत प्यारे थे और बच्चों के साथ सदैव बहुत घुले.मिले रहते थे। कहा जाता है कि वह गुलाब और बच्चों के बहुत शौकीन थे। वह बच्चों के विकास के लिए बेहद चिंतित रहते थे क्योंकि उन्हें विश्वास था कि बच्चे देश के भविष्य हैं। इसलिए बच्चों का अच्छी तरह से पोषण और शिक्षित होना समाज को मजबूत बनाता है। बाल दिवस चाचा नेहरू को श्रद्धांजलि और बच्चों पर उनके विचारों और देश की प्रगति में उनके योगदान के लिए एक श्रद्धांजलि है।
 
जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे। महात्मा गांधी के संरक्षण में वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 15 अगस्त 1947 को भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 27 मईए 1964 तक अपने निधन तकए भारत पर शासन किया। वे आधुनिक भारतीय राष्ट्र.राज्यए एक सम्प्रभुए समाजवादीए धर्मनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र के वास्तुकार माने जाते हैं। कश्मीरी पण्डित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाए जाते थेए जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं।
स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री का पद सँभालने के लिए कांग्रेस द्वारा नेहरू निर्वाचित हुए। प्रधानमन्त्री के रूप में वे भारत के सपने को साकार करने के लिए चल पड़े। भारत का संविधान 1950 में अधिनियमित हुआए जिसके बाद उन्होंने आर्थिकए सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के लिए एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरूआत की। मुख्यतः एक बहुवचनीए बहु.दलीय लोकतन्त्र को पोषित करते हुएए उन्होंने भारत के एक उपनिवेश से गणराज्य में परिवर्तन होने का पर्यवेक्षण किया। विदेश नीति में भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में प्रदर्शित करते हुएए उन्होंने गुट.निरपेक्ष आन्दोलन में एक अग्रणी भूमिका निभाई।जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को ब्रिटिश भारत में इलाहाबाद में हुआ। उनके पिताए मोतीलाल नेहरू एक धनी बैरिस्टर जो कश्मीरी पण्डित समुदाय से थे। उनकी माता का नाम स्वरूपरानी था। स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गए। जवाहरलाल तीन भाई.बहनों में से सबसे बड़े थेए जिनमें बाकी दो लड़कियाँ थीं। बड़ी बहन विजया लक्ष्मीए बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनीं। सबसे छोटी बहनए कृष्णा हठीसिंगए एक उल्लेखनीय लेखिका बनीं और उन्होंने अपने परिवार.जनों से संबंधित कई पुस्तकें लिखीं।
 
जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कालेज की शिक्षा ट्रिनिटी कालेजए कैम्ब्रिज ;लंदनद्ध से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। इंग्लैंड में उन्होंने सात साल व्यतीत किए जिसमें वहां के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया। जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की। 1916 में उनकी शादी कमला नेहरू से हुई। जवाहर लाल जी की एकमात्र पुत्री इन्दिरा गांधी थीं। 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रूल लीग में शामिल हो गए। राजनीति में उनकी असली दीक्षा दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए। उस समय महात्मा गांधी ने रालेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। नेहरूए महात्मा गांधी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्णए सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति खासे आकर्षित हुए।
 
नेहरू ने महात्मा गांधी के उपदेशों के अनुसार अपने परिवार को भी ढाल लिया। जवाहरलाल और मोतीलाल नेहरू ने पश्चिमी कपड़ों और महंगी संपत्ति का त्याग कर दिया। वे अब एक खादी कुर्ता और गाँधी टोपी पहनने लगे। जवाहर लाल नेहरू ने 1920.1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया और इस दौरान पहली बार गिरफ्तार किए गए। कुछ महीनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में दो वर्ष तक सेवा की। 1926 में उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से सहयोग की कमी का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए 1936 और 1937 में चुने गए थे। उन्हें 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार भी किया गया और 1945 में छोड़ दिया गया। 1947 में भारत और पाकिस्तान की आजादी के समय उन्होंने अंग्रेजी सरकार के साथ हुई वार्ताओं में महत्त्वपूर्ण भागीदारी की। 15 अगस्त 1947 को वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमन्त्री बने। अंग्रेजों ने 550 से अधिक देशी रियासतों को एक साथ स्वतंत्र किया था और उस वक्त सबसे बड़ी चुनौती थी उन्हें एक झंडे के नीचे लाना। उन्होंने भारत के पुनर्गठन के रास्ते में उभरी हर चुनौती का सरदार पटेल जैसे महान नेताओं के साथ मिलकर समझदारीपूर्वक सामना किया। जवाहरलाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उन्होंने योजना आयोग का गठन कियाए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया और तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया। उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरू हुआ। नेहरू ने भारत की विदेश नीति के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभायी।


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