नेपाल जेन-जेड विरोध : देशभर की जेलों में भगदड़, 15 हजार से अधिक कैदी हुए फरार
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जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों ने हालात को बेहद गंभीर बना दिया है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि अब तक 25 मृतकों की प्रारंभिक पहचान हो चुकी है, जबकि छह शवों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। त्रिभुवन विश्वविद्यालय शिक्षण अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. गोपाल कुमार चौधरी ने कहा कि शवों का पोस्टमॉर्टम अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के तहत किया गया है और शवों को सुरक्षित रखने का निर्देश मिला है। फिलहाल मृतकों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा नहीं की जा सकती। अधिकांश मृतकों की पहचान घटनास्थल से बरामद दस्तावेजों और पारिवारिक पहचान पत्रों से हुई है।
इसी बीच, गुरुवार को मधेश प्रांत के रामेछाप ज़िला कारागार में हिंसक झड़प में कम से कम तीन कैदियों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब कैदियों ने गैस सिलेंडर में विस्फोट करके जेल से भागने की कोशिश की। सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षाकर्मियों ने हालात काबू करने के लिए गोलीबारी की, जिससे तीन कैदियों की मौके पर ही मौत हो गई। घायलों को रामेछाप ज़िला अस्पताल ले जाया गया। अधिकारियों ने पुष्टि की कि मंगलवार से देशभर की जेलों में फैली हिंसा के कारण बड़े पैमाने पर कैदी फरार हो गए हैं।
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार से अब तक 25 से अधिक जेलों से करीब 15,000 कैदी फरार हो चुके हैं। इनमें से केवल कुछ ही कैदी स्वेच्छा से लौटे हैं या पुलिस द्वारा दोबारा गिरफ्तार किए गए हैं। गंडकी प्रांत के कास्की ज़िला कारागार से 773 कैदी भागने में सफल रहे, जिनमें 13 भारतीय और चार अन्य विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। कारागार प्रबंधन विभाग ने बताया कि कैदियों की वास्तविक संख्या को लेकर अंतिम आंकड़े अभी संकलित किए जा रहे हैं। महानिदेशक लीला प्रसाद शर्मा ने कहा कि सभी संसाधनों को जुटाकर फरार कैदियों को जल्द से जल्द पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
इस हफ़्ते की शुरुआत में बांके ज़िले के नौबस्ता किशोर सुधार गृह में भीषण झड़प हुई थी, जिसमें सुरक्षाबलों की गोलीबारी में पाँच किशोर कैदियों की मौत हो गई थी। बताया गया कि कैदियों ने सुरक्षाकर्मियों से हथियार छीनने की कोशिश की थी। अफ़रा-तफ़री में गोली चलानी पड़ी और हालात बिगड़ गए।
सबसे ज़्यादा प्रभावित जेलों में राजधानी काठमांडू का सुंधरा स्थित केंद्रीय कारागार (3,300 कैदी), ललितपुर का नक्खू कारागार (1,400 कैदी), दिल्ली बाज़ार कारागार (1,100 कैदी), सुनसरी का झुमका कारागार (1,575 कैदी) और बांके ज़िला कारागार (436 कैदी) शामिल हैं। इसके अलावा कपिलवस्तु, कैलाली, कंचनपुर, महोत्तरी और सिंधुली की जेलों से भी सैकड़ों कैदियों के भागने की पुष्टि हुई है।
नेपाल में जारी यह संकट न केवल सरकार के लिए बल्कि पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। जेन-जेड प्रदर्शनों की आड़ में फैली इस अराजकता ने जेलों से लेकर सड़कों तक स्थिति को अस्थिर कर दिया है और प्रशासन पर हालात काबू करने का भारी दबाव है।
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