मोदी सरकार के खिलाफ संसद के भीतर और बाहर विरोध प्रदर्शन तेज
नई दिल्ली: राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही बुधवार को विपक्षी दलों के भारी हंगामे के चलते बाधित रही। जैसे ही राज्यसभा की बैठक शुरू हुई, विपक्षी सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर शोर-शराबा शुरू कर दिया, जिससे उच्च सदन की कार्यवाही कुछ ही मिनटों बाद दोपहर 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। इसी तरह लोकसभा की बैठक भी हंगामे के कारण 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस हंगामे के चलते शून्यकाल भी नहीं हो सका। राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश ने बैठक के प्रारंभ में आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए, लेकिन इसके बाद शोर के चलते कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
संसद के अंदर के साथ-साथ बाहर भी विपक्ष का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों के कई सांसदों ने संसद भवन परिसर में बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और अन्य मुद्दों को लेकर विरोध जताया। प्रदर्शन कर रहे सांसदों ने काली कमीजें और बांहों पर काली पट्टियां पहनकर अपनी नाराजगी प्रकट की।
संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के समीप इस विरोध प्रदर्शन में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई प्रमुख विपक्षी नेता शामिल हुए। उन्होंने “मोदी सरकार हाय-हाय” और “मोदी सरकार डाउन-डाउन” जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि सरकार पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील विषयों पर सदन में चर्चा की तिथि स्पष्ट करे।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि बिहार में शुरू की गई एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य भाजपा विरोधी मतदाताओं के मताधिकार को खत्म करना है। उन्होंने इसे ‘वोटबंदी’ करार देते हुए कहा कि विपक्ष इसका कड़ा विरोध करता रहेगा। उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि संसद में एसआईआर और पहलगाम मुद्दों पर कब बहस कराई जाएगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इन मुद्दों पर जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं। विपक्षी दलों ने यह चेतावनी भी दी कि जब तक इन मुद्दों पर चर्चा नहीं होती, उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
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