विस्फोटक की आड़ में पर्यावरण और सुरक्षा के साथ खिलवाड़
देहरादून: त्यूणी क्षेत्र में डायनामाइट की अवैध ढुलाई का मामला सामने आने के बाद अब जांच एजेंसियां गहराई से पड़ताल में जुट गई हैं। पकड़े गए तीनों आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्होंने 125 किलोग्राम डायनामाइट एक प्राइवेट मैगजीन से खरीदा था, जिसे हिमाचल प्रदेश में किसी स्थान पर ले जाया जा रहा था। मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब यह सामने आया कि मैगजीन मालिक ने डायनामाइट की ढुलाई को वैध दर्शाने के लिए कागजात में हेरफेर किया और बैक डेट में रवन्ना जारी कर दिया।
पूरी घटना का खुलासा तब हुआ जब कालसी क्षेत्र में पुलिस ने एक अल्टो कार को चेक किया और उसमें बड़ी मात्रा में डायनामाइट बरामद किया गया। आरोपियों के पास इसका कोई वैध दस्तावेज नहीं था। इस पर जब पूछताछ शुरू हुई तो पता चला कि यह विस्फोटक कालसी में स्थित एक अधिकृत प्राइवेट मैगजीन से खरीदा गया था, जो सामान्यतः आसपास के क्षेत्रों में निर्माण कार्यों, विशेष रूप से रोड कटिंग के लिए डायनामाइट की आपूर्ति करता है।
स्वीकृत प्रक्रिया के तहत डायनामाइट के परिवहन के लिए जिस वाहन में माल लोड किया जाता है, उसकी जानकारी मैगजीन रजिस्टर में दर्ज होती है। साथ ही स्थानीय पुलिस को भी अग्रिम सूचना दी जाती है, ताकि विस्फोटक की सुरक्षित और वैध तरीके से ढुलाई सुनिश्चित की जा सके। लेकिन इस मामले में कोई भी कानूनी औपचारिकता पूरी नहीं की गई थी।
पुलिस जांच में सामने आया कि तीनों आरोपियों ने मैगजीन के चौकीदार सीताराम से यह डायनामाइट 29 हजार रुपये का यूपीआई भुगतान कर खरीद लिया था। जब पुलिस ने चौकीदार से पूछताछ करनी चाही तो वह मौके से फरार हो गया। इसके बाद जब पुलिस टीम ने मैगजीन में दस्तावेज खंगाले, तो यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि रवन्ना को बैक डेट में काटा गया था और यह दर्शाया गया कि विस्फोटक वैध रूप से एक विशेष वैन से ले जाया जा रहा था, लेकिन वैन खराब हो जाने के कारण माल को अल्टो कार में स्थानांतरित कर भेजा गया।
पुलिस के अनुसार, मैगजीन मालिक ने जानबूझकर कागजात में हेरफेर किया है ताकि पकड़े गए विस्फोटक को वैध साबित किया जा सके। अब मैगजीन मालिक को भी जांच के दायरे में लाया गया है और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। एसएसपी अजय सिंह ने साफ किया कि विस्फोटकों से संबंधित मामलों में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, क्योंकि यह सुरक्षा, पर्यावरण और जनजीवन के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।
पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि हिमाचल प्रदेश में कुछ लोग सरकारी अनुमति के बिना खुद ही सड़क निर्माण कार्य में जुटे हैं। इसके लिए उन्हें डायनामाइट की आवश्यकता थी, जिसे उन्होंने इन आरोपियों के जरिए खरीदने का प्रयास किया। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि वहां कोई सरकारी संस्था इस निर्माण कार्य में शामिल नहीं है, जिससे यह पूरा मामला अवैध ढंग से विस्फोटक ढोने और प्रयोग करने की ओर इशारा करता है।
डायनामाइट का इस्तेमाल सामान्यतः खनन और सड़क कटिंग जैसे भारी निर्माण कार्यों में किया जाता है, लेकिन कई बार इसका दुरुपयोग अवैध गतिविधियों के लिए भी होता है। कई क्षेत्रों में डायनामाइट का प्रयोग मछली पकड़ने में भी किया जाता है, जिसमें तालाबों या झीलों में विस्फोट किया जाता है, जिससे मछलियां सतह पर आ जाती हैं। यह प्रक्रिया न केवल अवैध है, बल्कि इससे बड़ी संख्या में मछलियों की मृत्यु हो जाती है और जलवायु तंत्र को नुकसान होता है।
ऐसे विस्फोटकों का अनियंत्रित उपयोग पहाड़ों में भूस्खलन की स्थिति पैदा कर सकता है और इससे जानमाल का नुकसान भी संभव होता है। विस्फोट की तीव्रता और स्थान के अनुसार पर्यावरणीय प्रभाव भी बेहद घातक हो सकते हैं।
अब पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि पकड़े गए तीनों आरोपी इस डायनामाइट को किस-किस को सप्लाई करने वाले थे और इनके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क तो नहीं है। इस मामले के खुलासे से न केवल विस्फोटकों की अवैध ढुलाई का बड़ा खतरा सामने आया है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि कुछ अधिकृत संस्थाएं भी अब कानूनी प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर नियमों की अनदेखी कर रही हैं।
जांच एजेंसियां अब मामले को बेहद गंभीरता से ले रही हैं और आने वाले दिनों में इस प्रकरण में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। पुलिस का कहना है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस तरह के मामलों में सख्ती बरती जाएगी और जो भी व्यक्ति या संस्था दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कानून के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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