बेदौली गांव में मातम, भाई-बहन समेत चार मासूमों की डूबकर मौत

 


प्रयागराज : जनपद के मेजा थाना क्षेत्र स्थित बेदौली गांव में बुधवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जब चार मासूम बच्चों के शव गांव से कुछ ही दूरी पर एक पानी भरे गड्ढे में उतराते हुए मिले। इस दर्दनाक दृश्य को देखकर पूरे गांव में कोहराम मच गया। मृतक बच्चों में दो सगे भाई-बहन हैं जबकि दो अन्य बच्चे पड़ोसी हैं। यह सभी बच्चे मंगलवार शाम से लापता थे।

घटना की जानकारी मिलते ही एसीपी मेजा एसपी उपाध्याय, एसडीएम सुरेंद्र प्रताप यादव और थाना प्रभारी राजेश उपाध्याय भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। बच्चों के शवों को ग्रामीणों ने बाहर निकाला और सीएचसी रामनगर ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने चारों को मृत घोषित कर दिया।

बेहद गरीब और श्रमिक वर्ग की इस आदिवासी बस्ती के अधिकांश लोग गांव के ही ईंट भट्ठे या मनरेगा योजना के तहत मजदूरी करते हैं। घटना वाले दिन मंगलवार को दोपहर तीन बजे बस्ती के सभी बड़े लोग काम पर चले गए थे। जब शाम पांच बजे लौटे, तो उन्होंने पाया कि चार बच्चे—हुनर (5 वर्ष) और वैष्णवी (3 वर्ष) पुत्र-पुत्री हीरा आदिवासी, खेसारी लाल (5 वर्ष) पुत्र संजय आदिवासी, और कान्हा (5 वर्ष) पुत्र विमल आदिवासी—घरों से गायब हैं।

बच्चों के लापता होने पर पूरी बस्ती के लोग खोजबीन में जुट गए, लेकिन रातभर की कोशिशों के बावजूद कोई जानकारी नहीं मिल सकी। पुलिस ने बच्चों की गुमशुदगी दर्ज कर रात में ही तलाश शुरू कर दी थी। बुधवार सुबह लगभग छह बजे ग्रामीणों की नजर गांव के समीप ईंट भट्ठे के पास एक गहरे पानी भरे गड्ढे पर पड़ी, जिसमें चारों बच्चों के शव उतराते हुए दिखाई दिए।

मौके पर पहुंचे लोगों और परिजनों ने शवों को बाहर निकाला और तत्काल पुलिस को सूचना दी। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। प्रारंभिक जांच के अनुसार, बच्चे खेलते-खेलते गड्ढे के पास चले गए और पानी में डूब गए। यह गड्ढा ईंट भट्ठा संचालक द्वारा मिट्टी निकालने के बाद बना था और बारिश का पानी भर जाने से गहराई खतरनाक हो गई थी।

स्थानीय लोगों का कहना है कि गड्ढा बिना किसी चेतावनी या सुरक्षा घेरे के यूं ही खुला पड़ा था, जिससे यह हादसा हुआ। इस लापरवाही के लिए ईंट भट्ठा संचालक की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और गड्ढे को भरवाने अथवा सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।

एसडीएम मेजा सुरेंद्र प्रताप यादव ने बताया कि मृतक बच्चों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता तत्काल प्रदान की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ऐसे स्थानों को चिन्हित कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

इस हादसे से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई है। सबसे ज्यादा मार उन गरीब परिवारों पर पड़ी है, जिनकी जिंदगी पहले ही रोजी-रोटी के संघर्ष में डूबी हुई थी, अब उन्होंने अपने नन्हे बच्चों को भी खो दिया। गांव में मातम पसरा हुआ है और हर आंख नम है। यह हादसा प्रशासन और समाज के लिए एक बड़ा सबक है कि लापरवाही और असुरक्षित निर्माण कार्य किस तरह से मासूम जिंदगियों को निगल सकते हैं।

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