सरकारी धन की लूट: फर्जी बिलों और खातों से खेला गया अरबों का खेल

 


मुरादाबाद : जनपद में एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें मजदूरों की पहचान का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये का अवैध कारोबार किया गया। यह मामला तब उजागर हुआ जब मजदूरों के नाम पर आयकर विभाग से भारी-भरकम बकाया की नोटिसें मिलने लगीं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत के आदेश पर संबंधित कारोबारियों और सुपरवाइजर के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और गबन समेत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

घटना की शुरुआत बिलारी क्षेत्र के झकड़ा गांव निवासी राजेंद्र सिंह की ओर से दायर एक प्रार्थनापत्र से हुई, जिसमें उन्होंने बताया कि वह वर्ष 2017 से 2024 तक मुरादाबाद के नवाबपुरा मोहल्ले स्थित एएनएस हैंडीक्राफ्ट नामक फर्म में काम करता रहा। इस दौरान उसके साथ उसके कई रिश्तेदार और जान-पहचान के मजदूर भी उसी फर्म में कार्यरत थे।

राजेंद्र के अनुसार, फर्म के स्वामी मोहम्मद शोएब, जो सिविल लाइंस स्थित रामगंगा विहार वेव ग्रीन कॉलोनी का निवासी है, तथा सुपरवाइजर रोहित उर्फ रिंकू, जो मझोला थाना क्षेत्र के खुशहालपुर और मूल रूप से अमरोहा जिले के गजरौला स्थित पीपली नायक गांव का निवासी है, ने एक योजना के तहत सभी मजदूरों से उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड की फोटो कॉपी और पासपोर्ट साइज फोटो यह कहकर मांगे कि उनका श्रम विभाग में पंजीकरण कराना है। इसके अलावा, मजदूरी का भुगतान बैंक खातों में सुनिश्चित कराने हेतु खाता खुलवाना और फर्म के लिए परिचय पत्र जारी करना बताया गया।

मजदूरों ने इन बातों पर भरोसा कर अपने दस्तावेज सौंप दिए। कुछ ही समय बाद राजेंद्र सिंह को आयकर विभाग से नोटिस प्राप्त हुआ, जिसमें बताया गया कि उसके नाम पर 12 करोड़ रुपये की देनदारी दर्ज है। यही स्थिति उसके अन्य साथियों के साथ भी हुई—जैसे हेम सिंह के नाम पर 11 करोड़, जगवीर सिंह के नाम पर 39 करोड़ और मुस्तफा के नाम पर नौ करोड़ रुपये की देनदारी की नोटिसें आईं।

जब इन मजदूरों ने आयकर विभाग से जानकारी मांगी तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि फर्म मालिक मोहम्मद शोएब और सुपरवाइजर रोहित ने मजदूरों के नाम पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराकर कुल आठ फर्जी फर्में खोली थीं। इन फर्मों के जरिए करोड़ों रुपये का कारोबार दर्शाया गया, जबकि हकीकत में मजदूरों को इसकी भनक तक नहीं थी। इतना ही नहीं, इन फर्मों के नाम पर फर्जी जीएसटी बिल बनाए गए और सरकारी धनराशि का गबन किया गया। इन मजदूरों के नाम पर बनाए गए खातों में फर्जी लेनदेन भी दिखाया गया ताकि व्यवस्था की आंखों में धूल झोंकी जा सके।

अदालत के संज्ञान लेने पर पुलिस ने मामले की प्राथमिक जांच की और फिर बिलारी थाने में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467, 468 (दस्तावेजों की जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग) और 409 (आपराधिक विश्वासघात) सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

एसपी देहात कुंवर आकाश सिंह ने जानकारी दी कि मामले की जांच तेज कर दी गई है और दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। पुलिस को आशंका है कि यह फर्जीवाड़ा एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है, जिसमें और भी लोग शामिल हो सकते हैं।

यह घटना केवल मजदूरों की पहचान की चोरी नहीं है, बल्कि यह देश की वित्तीय और कर व्यवस्था पर भी गहरा आघात है। इस तरह की धोखाधड़ी से न केवल ईमानदार करदाताओं का विश्वास कमजोर होता है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी नुकसान होता है। प्रशासन और पुलिस अब इस पूरे प्रकरण की परतें खोलने में जुटे हैं ताकि दोषियों को सख्त सजा दिलाई जा सके और ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

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