अतरासी गांव की पटाखा फैक्टरी में भीषण धमाका, चार की मौत, दर्जनभर घायल

 


अमरोहा: अतरासी गांव के जंगल में चल रही एक पटाखा फैक्टरी में अचानक हुए भीषण विस्फोट ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। यह धमाका इतना तेज था कि फैक्टरी की बिल्डिंग और उस पर लगा टिनशेड पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। इस हादसे में अब तक चार से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि दर्जनभर से अधिक मजदूर गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। कई लोग अभी भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं, जिन्हें बाहर निकालने के लिए राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह फैक्टरी काफी समय से गांव के जंगलों में चल रही थी, लेकिन इसके संचालन की कोई विधिवत अनुमति नहीं थी। फैक्टरी में पटाखों के निर्माण और पैकिंग का काम हो रहा था, जिसमें आसपास के ग्रामीण मजदूरी करते थे। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि इस फैक्टरी में सुरक्षा मानकों की भारी अनदेखी की जा रही थी। मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के खतरनाक बारूद और रसायनों के साथ काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।

धमाके के बाद घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई। घायल मजदूरों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच चुके हैं। मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालने के लिए जेसीबी मशीनों की मदद ली जा रही है, और राहत कार्य में स्थानीय ग्रामीण भी प्रशासन की मदद कर रहे हैं।

इस हादसे ने एक बार फिर क्षेत्र में चल रही अवैध पटाखा फैक्टरियों की ओर सभी का ध्यान खींचा है। यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले 1 मई को भी पास के भावली गांव में एक अवैध पटाखा फैक्टरी में विस्फोट हो चुका है, जिसमें एक मासूम बच्चा झुलस गया था। वह बच्चा अपनी मां के साथ मजदूरी करने गया था और फुलझड़ी जलाते समय फैक्टरी में आग लग गई थी। उस वक्त भी पुलिस प्रशासन ने जांच की बात कही थी लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इन अवैध फैक्टरियों को प्रशासन की मिलीभगत से चलाया जा रहा है। ग्रामीणों ने पहले भी कई बार अधिकारियों को सूचित किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनका आरोप है कि कुछ प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में यह कारोबार फल-फूल रहा है, जिसमें जान की कोई कीमत नहीं है। मजदूरों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, न ही रजिस्टर में दर्ज नाम हैं और न ही किसी तरह की बीमा सुविधा।

इस ताज़ा हादसे ने न सिर्फ कई घरों के चिराग बुझा दिए हैं, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया है कि आखिर प्रशासन कब तक ऐसे अवैध और जानलेवा कारखानों को नजरअंदाज करता रहेगा। क्या हर बार किसी की जान जाने के बाद ही प्रशासन जागेगा? और क्या दोषियों को कभी सज़ा मिल पाएगी, या फिर यह हादसा भी बाकी घटनाओं की तरह सिर्फ एक आंकड़ा बनकर रह जाएगा?

फिलहाल, पुलिस ने फैक्टरी के मालिक की तलाश शुरू कर दी है, जो हादसे के बाद से फरार बताया जा रहा है। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही है, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में कोई गरीब मजदूर या मासूम बच्चा अपनी जान ऐसे लालच और लापरवाही के चलते न गंवाए।

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