ईद-उल-अजहा को प्रेम, सेवा और जिम्मेदारी के साथ मनाने की अपील
लखनऊ : राजधानी लखनऊ की ऐतिहासिक ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने आगामी ईद-उल-अजहा पर्व को लेकर मुस्लिम समाज से शांति, स्वच्छता और समाजिक जिम्मेदारी निभाने की अपील की है। उन्होंने सोमवार को एक 12 सूत्रीय एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि कुर्बानी की रस्म के दौरान इस्लामी शिक्षाओं, सफाई और मानवीय मूल्यों का विशेष ध्यान रखा जाए।
कुर्बानी की रस्म सलीके से अदा करने की अपील
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि ईद-उल-अजहा का पर्व त्याग और बलिदान का प्रतीक है, जिसे हम सबको आदर, मर्यादा और अनुशासन के साथ मनाना चाहिए। उन्होंने मुसलमानों से आग्रह किया:
सड़क किनारे या गलियों में कुर्बानी न करें, केवल निर्धारित स्थानों पर ही यह रस्म अदा करें।
खून को नालियों में बहाने से बचें, बल्कि उसे कच्ची मिट्टी में दबा दें, ताकि वह प्राकृतिक खाद के रूप में कार्य करे।
कुर्बानी करते समय फोटो और वीडियो न बनाएं और सोशल मीडिया पर न पोस्ट करें, क्योंकि इससे पर्व की पवित्रता प्रभावित होती है।
स्वच्छता बनी रहे, पड़ोसियों का सम्मान करें
एडवाइजरी में मौलाना ने यह भी कहा कि स्वच्छता इस्लाम का हिस्सा है, इसलिए कुर्बानी के दौरान और बाद में अपने आस-पास साफ-सफाई बनाए रखें। किसी भी प्रकार की गंदगी या असुविधा से पड़ोसियों को परेशानी न हो, इसका विशेष ध्यान रखें।
गरीबों का हक़ अदा करें, देश की रक्षा में लगे जवानों को दुआ दें
फरंगी महली ने इस मौके पर मुसलमानों से अपील की कि कुर्बानी के तीन हिस्सों में से एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को जरूर दें। यह पर्व केवल एक धार्मिक कर्तव्य ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और मानवता की मिसाल है।
साथ ही उन्होंने कहा,
"इस ईद पर जब हम अपने परिवार के साथ खुशियां मना रहे हों, तब हमें सीमा पर तैनात हमारे बहादुर सैनिकों को भी याद करना चाहिए, जो हमारी रक्षा के लिए त्याग कर रहे हैं। उनके सुरक्षा और सलामती के लिए दुआ करना हमारा कर्तव्य है।"
एकता और शांति का संदेश
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की यह एडवाइजरी न केवल धार्मिक आस्था को सही रूप में व्यक्त करती है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और जिम्मेदारी का भी बोध कराती है। यह पहल लखनऊ और देश के अन्य हिस्सों में पर्व को शांति, सफाई और सह-अस्तित्व के साथ मनाने की प्रेरणा देती है।
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