झरने की मस्ती में मातम: पेड़ के नीचे दबे पर्यटक, दो की मौके पर ही मौत
देहरादून : उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल टाइगर फॉल, चकराता में सोमवार को एक दर्दनाक हादसे ने दो परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया। दोपहर लगभग ढाई बजे, झरने के नीचे नहा रहे पर्यटकों पर झरने के साथ एक बड़ा पेड़ गिर गया, जिससे दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि तीन अन्य को मामूली चोटें आई हैं।
हादसे का विवरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, हादसे के समय चकराता के सुजोऊ गांव निवासी गीताराम जोशी (48) और दिल्ली के शाहदरा निवासी अलका आनंद (55) अपने-अपने परिवार के साथ झरने के नीचे मौजूद थे। अचानक पहाड़ी से बहते झरने के साथ एक बड़ा पेड़ गिरा और ये दोनों उसके नीचे दब गए।
मौके पर मौजूद पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने तुरंत दोनों को पेड़ के नीचे से निकालकर 108 एंबुलेंस की सहायता से चकराता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृतकों का परिचय
गीताराम जोशी, मूल निवासी सुजोऊ गांव, वर्तमान में सेलाकुई की एक निजी कंपनी में कार्यरत थे। वे अपनी पत्नी और बेटी के साथ घूमने के लिए चकराता आए थे।
अलका आनंद, निवासी शाहदरा, दिल्ली, अपनी बेटी और उसके मंगेतर के साथ पर्यटन के उद्देश्य से टाइगर फॉल आई थीं।
अन्य घायलों की स्थिति
हादसे में आसपास नहा रहे तीन अन्य पर्यटक भी पेड़ की टहनियों से घायल हुए हैं। उन्हें हल्की खरोंचें आई हैं और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
पुलिस कार्रवाई
थाना प्रभारी चकराता चंद्रशेखर नौटियाल ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शवों को परिजनों को सौंप दिया गया है। पुलिस ने दुर्घटना की रिपोर्ट दर्ज कर ली है और क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा की जा रही है।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह हादसा पर्यटन स्थलों पर प्राकृतिक आपदाओं और सुरक्षा प्रबंधन को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर रहा है। टाइगर फॉल जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर भारी संख्या में पर्यटक आते हैं, लेकिन पार्यावरणीय जोखिम और चेतावनी संकेतों की कमी अभी भी चिंता का विषय है।
स्थानीय लोग और पर्यटक प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि
झरने के आसपास चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं,
बरसात या ढलान वाले क्षेत्रों में सुरक्षा उपाय बढ़ाए जाएं,
और स्थानीय गाइड की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
अंत में
पर्यटन के उद्देश्य से आए इन दो परिवारों के लिए यह यात्रा जीवन की आखिरी साबित हुई। यह घटना एक दुखद याद बनकर रह गई कि प्रकृति के सौंदर्य के बीच भी खतरे छिपे होते हैं।
प्रशासन से उम्मीद है कि वह भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा।
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