पाकिस्‍तान: प्‍लास्‍टिक की थैलियों में बिक रही रसोई गैस

 


पाकिस्‍तान में प्राकृतिक गैस खाना बनाने और ठंड में गर्मी हासिल करने के लिए खूब इस्तेमाल होती है। हालांकि, गैस के भंडारों में आ रही कमी के कारण अधिकारियों ने घरों, फिलिंग स्टेशन और औद्योगिक इकाइयों को गैस की सप्लाई घटा दी है। दूसरे वहां एक कार्बन स्टील या स्टील अलॉय से बने सिलेंडर की कीमत 10,000 पाकिस्तानी रुपये है।

इस वजह से छोटे दुकानदार, गरीब परिवार और दूसरे लोग इन्हें नहीं खरीद पाते हैं। पर खाना तो पकाना है तो उन्‍होंने दूसरा तरीका अपना लिया है। यह इतना खतरनाक है क‍ि लगभग हर शहर में ऐसे सैकड़ों दुकानें मिल जाएंगी जो बारूद के ढेर की तरह काम कर रही हैं।डायचे वैले (DW) की एक रिपोर्ट के मुताबिक , गैस जमा करने का यह तरीका जानलेवा है। इसमें विस्फोट का जोखिम होता है। इस्लामाबाद के एक चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि उनके सेंटर पर हर रोज औसतन आठ ऐसे मरीज आते हैं, जो इन थैलियों में हुए विस्फोट और संबंधित हादसों में जख्मी हुए होते हैं।

कुछ मरीज तो बेहद गंभीर रूप से घायल होते हैं। तमाम लोग तो ऐसे हैं जो अस्‍पताल पहुंचते ही नहीं। डाक्‍टरों के मुताबिक, इससे जान भी जा सकती है पर लोगों का कहना है क‍ि उनके पास कोई उपाय नहीं। क्योंकि सिलेंडर महंगे हैं। सोशल मीडिया पर वहां के तमाम लोगों ने इस समस्‍या को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं और तुरंत रोकथाम की मांग की है।

तमाम घरों में प्‍लास्टिक थैली वाली गैस में खाना पकाते लोग मिल जाएंगे। नोजल और वाल्व वाली इस थैली में दुकानों पर प्राकृतिक गैस भर कर बेची जा रही है। ये दुकानें गैस पाइपलाइन नेटवर्क से जुड़ी हैं। यहां से गैस खरीद कर लोग इन्हें एक छोटे से इलेक्ट्रिक सक्शन पंप की सहायता से इस्तेमाल करते हैं। प्लास्टिक बैग में गैस भर कर रसोई में सप्लाई के लिए एक कंप्रेसर की जरूरत होती है।

इस्तेमाल करने वालों के मुताबिक यह बैग घंटे भर में भर जाती है। स्‍थानीय लोगों ने बताया क‍ि दोबारा इस्तेमाल होने वाली ये प्लास्टिक की थैलियां आकार के मुताबिक 500-900 पाकिस्तानी रुपये तक में आ जाती हैं, जबकि कंप्रेसर की कीमत 1,500-2000 रुपये तक है। लोग इन्हें गांव और शहर दोनों जगह इस्तेमाल कर रहे हैं।प्रशासन को भी इस समस्‍या की जानकारी है और इनकी खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गई है कार्रवाई भी हुई है और इस महीने अकेले पेशावर में ही 16 दुकानदार गिरफ्तार किए गए। लेकिन कार्रवाई से बचने के लिए अब लोग दबे-छिपे कारोबार कर रहे हैं।

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