ज्ञानवापी मस्जिद नहीं है, बल्की मंदिर था: तारिक फतेह



वाराणसी : चर्चाओं में चल रहा ज्ञानवापी मामले की सुनवाई  वाराणसी जिला जज की अदालत में शुरू हुई। आपको बता दें कि हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता है। कशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। बता दें ये खचिका अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर करी है और  मांग की है कि उनका पक्ष भी सुना जाए।

 एक तरफ जहां ज्ञानवापी मामले को लेकर अब लड़ाई कानूनी रूप ले चुकी है वहीं इसको लेकर बयानबाजी का दौर भी लगातार जारी है। वहीं ऐसे समय में तारिक फतह के बयान से समुदाय में खलबली मच गई है। उन्होंने कहां कि  ज्ञानवापी मस्जिद नहीं है, बल्की वह मंदिर था।

गौरतलब है कि पाकिस्तान मूल के कनाडाई लेखक तारिक फतह ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि कुरान में एक बड़ी ही साफ लाइन है कि सच बोलो चाहे उसके लिए जान भी क्यों न चली जाए। ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिली पत्थर की ठोस संरचना को फव्वारा बताने वालों से सवाल करते हुए फतह ने पूछा कि वो ये बताएं कि 400 साल पहले वो कैसे बना। तब तो फ्लैट जमीन में फव्वारा बनाने की तकनीक भी नहीं थी। तारिक फतह ने कहा कि इबादत के लिए झूठ क्यों बोल रहे हैं जो भाईचारा चाहते हैं, वो अपना दिल बड़ा करें।


Sources: Prabhashakshi Samachaar

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