‘बेहद जोखिम भरे’ हैं अब निवेशकों के लिये कार्बन-सघन इन्फ्रास्ट्रक्चर

  

 

Climate कहानी



वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में निम्‍न कार्बन के टिपिंग प्‍वाइंट्स को छू रही है। आने वाले दशक में सभी क्षेत्र जीवाश्‍म ईंधन से तेजी से छुटकारा पाने को तैयार हैं।

वैश्विक सततता कंसल्‍टेंसी सिस्‍टेमिक’ के एक ताजा अध्‍ययन द पेरिस इफेक्‍ट- सीओपी26 संस्‍करण’ (The Paris Effect - COP26 edition), के मुताबिक भारी कार्बन उत्‍सर्जन वाले किसी नये मूलभूत ढांचे पर निवेश करने का अब कोई औचित्‍य नहीं है। सभी प्रमुख सेक्‍टर वर्ष 2030 तक प्रदूषणमुक्‍त किफायती समाधान विकसित करने में सक्षम हैं। आज बनाये जाने वाले किसी भी कार्बन उत्‍सर्जक मूलभूत ढांचे पर भविष्‍य में गम्‍भीर सवाल खड़े होंगे।

एक समृद्ध और शून्‍य उत्‍सर्जन वाली अर्थव्‍यवस्‍था के निर्माण के लिये हमें कम कार्बन उत्‍सर्जन वाले निवेश में तेजी लाने और ऊर्जाप्रकृतिवित्‍तमीथेन तथा कार्बन डाईऑक्‍साइड को समाप्‍त करने की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है। अच्‍छी खबर यह है कि हम अब जानते हैं कि यह काम कैसे करना है।

सिस्‍टेमिक ने वर्ष 2020 की अपनी पेरिस इफेक्‍ट रिपोर्ट पर काम को आगे बढ़ाते हुए इस बात को रेखांकित किया है कि कम कार्बनवाले समाधानों में निवेश करने से दुनिया वर्ष 2030 तक विभिन्‍न क्षेत्रों  में उत्‍सर्जन में 90 प्रतिशत और वर्ष 2035 तक 100 फीसद कटौती करने के बाजार सम्‍बन्‍धी अवसरों के प्रारम्‍भ बिंदु नजर आ सकते हैं।

ग्‍लासगो ब्रेकथ्रू पैकेज के सहयोग से अगले एक दशक के दौरान हम ट्रकिंगभोजन और कृषिविमाननशिपिंग तथा अन्‍य क्षेत्रों में व्‍यापक परिवर्तनकारी रुख उत्‍पन्‍न होने की अपेक्षा कर सकते हैं।

ग्रांथम रिसर्च इंस्टीट्यूट के चेयरमैन निकोलस स्टर्न ने कहा "द पेरिस इफेक्ट ने वर्ष 2020 में स्पष्ट कर दिया था कि कमजोर या देर से कदम उठाए जाने से न सिर्फ विनाशकारी क्षमता वाले जलवायु संबंधी जोखिम उत्पन्न होते हैं बल्कि इससे अर्थव्यवस्थाओं के समृद्धि की अगली लहर के निर्माण में पिछड़ जाने का खतरा भी होता है। द पेरिस इफेक्ट सीओपी26 संस्करण में इस बात को रेखांकित किया गया है कि‍ अनेक मोर्चों पर प्रौद्योगिकीय नवोन्मेष की रफ्तार तेज हो रही है और बढ़ते निवेश तथा महत्वाकांक्षाओं की इसमें व्यापक भूमिका है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि हमें विकासशील देशों के पक्ष में पूंजी संबंधी कदमों को तेज करने के लिए काफी कुछ करना बाकी है। यह काम काफी कम लागत पर दीर्घकालिक निजी पूंजी के अपेक्षाकृत अधिक प्रवाह को संभव बनाने के लिए डिजाइन किए गए अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त के रचनात्मक संयोजनों के जरिए किया जाएगा।"

मगर रिपोर्ट में पाया गया है कि कुछ मोर्चों (जैसे कि सौर/वायु+स्‍टोरेजइलेक्ट्रिक वाहनपादप-आधारित मांसग्रीन स्‍टील) पर तेजी से प्रगति हो रही हैमगर कुछ अन्‍य क्षेत्रों (जैसे कि ऊर्जा दक्षताहीट पम्‍पप्रकृति आधारित समाधानों का वित्‍तपोषणकार्बन का प्रत्‍यक्ष समापन) में बदलाव की रफ्तार बहुत धीमी है।

रिपोर्ट में उल्लिखित मुख्‍य प्रमाण:

·   कम कार्बन उत्‍सर्जन वाले समाधानों की तरफ बढ़ने की दिशा अब स्‍पष्‍ट होने के साथ ही उच्‍च कार्बन उत्‍सर्जनकारी अवसंरचनाओं से आने वाले दशकों में तीव्र अवसंरचना क्षरण के खतरे उत्‍पन्‍न हो जाएंगे। इससे उच्‍च कार्बन उत्‍सर्जन करने वाले मूलभूत ढांचे में आगे किया जाना वाला निवेश बेहद जोखिम भरा हो जाएगा।

·   दीर्घ-चक्रीय तेल सम्‍बन्‍धी योजनाओं के लिये उधार की लागत अब 20 प्रतिशत से अधिक हो गयी हैजबकि अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिये यह 3-5 प्रतिशत हैयह 80 डॉलर प्रति टन कार्बन कर के बराबर है जो ऊर्जा निवेश के लिये एक नये मोड़ की शुरुआत है।

·   हाइड्रोकार्बन बनाम अक्षय ऊर्जा विकास के लिए पूंजी की लागत में पिछले 5 वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा के पक्ष में 10 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है।

·   131 देशों ने अब नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है। दुनिया में होने वाले कुल उत्‍सर्जन में इन देशों की भागीदारी 73% हैजो पिछले साल 57% और 2017 में सिर्फ 6% थी। उद्योग क्षेत्र ने इस मामले में तेजी पकड़ी है। 3000 से अधिक प्रमुख व्यवसायों और दुनिया के 173 सबसे बड़े निवेशकों ने यही लक्ष्‍य अपनाया है।

·   पिछले वर्ष के दौरानसभी तरह की नई बिजली उत्‍पादन क्षमता का 80% से अधिक हिस्‍सा अक्षय ऊर्जा का था। इनमें से 91% हिस्‍सेदारी नए सौर और वायु बिजली संयंत्रों की थी। वर्ष 2020 मेंइलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़कर 3 मिलियन या वैश्विक बाजार का 4% हो गईजिसमें अब 330 पूर्ण इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड मॉडल उपलब्ध हैं।

·    अगले 25 वर्षों में नेट जीरो ऊर्जा प्रणाली के निर्माण से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 26 ट्रिलियन डॉलर का शुद्ध लाभ होगा।




टिप्पणियाँ

Popular Post