क्या पंजाब में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे कैप्टन अमरिंदर ?

  


अगले साल पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनाव से पहले वहां नए समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं। कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद पंजाब में नई पार्टी का ऐलान कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के प्रति नरम रुख रख रहे हैं। हालांकि अमरिंदर सिंह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर केंद्र की मोदी सरकार कृषि कानूनों को वापस लेती है तो पंजाब में उसके साथ गठबंधन के लिए वह विचार करेंगे। अब ऐसा लग रहा है कि पंजाब में अमरिंदर और भाजपा के बीच कोई ना कोई खिचड़ी जरूर पक रही है। इस बात को बल तब मिला जब अचानक से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात करने का पर अमरिंदर से पहुंच गए। भले ही दोनों ने इस मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात बताया हो लेकिन इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।हालांकि अमरिंदर सिंह ने दावा किया कि उनकी पार्टी अकाली दल से अलग हुए गुट और भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर राज्य में अगली सरकार बनाएगी। अमरिंदर सिंह ने कहा कि खट्टर के साथ यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी। उन्होंने कहा, “कोई नया राजनीतिक घटनाक्रम नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री के साथ एक बढ़िया कॉफी पी।” यह पूछे जाने पर कि विधानसभा चुनाव से पहले क्या उनकी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस में “बड़े चेहरे” शामिल होंगे, सिंह ने कहा, “उसके लिए इंतजार कीजिये। सब कुछ ठीक चल रहा है। लोग बेहद उत्साहित हैं और हमारी सदस्यता अच्छी चल रही है।” उन्होंने कहा कि भगवान ने चाहा तो भारतीय जनता पार्टी और (सुखदेव सिंह) ढींढसा की पार्टी (शिअद संयुक्त) के साथ सीटों का बंटवारा कर हम सरकार बनाएंगे। भाजपा के साथ गठबंधन की बातचीत पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मैंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की तो इसका यह मतलब नहीं है कि जब आप किसी से मिलें तो वह राजनीतिक ही हो। यह मात्र शिष्टाचार मुलाकात थी। हरियाणा सरकार की ओर से जारी तस्वीर में देखा जा सकता है कि खट्टर अमरिंदर सिंह का गर्मजोशी से स्वागत कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह पंजाब चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर भाजपा नेताओं से मुलाकात करेंगे, सिंह ने कहा कि वह दिल्ली जाएंगे और निश्चित तौर पर उनसे मुलाकात करेंगे। कृषि कानूनों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अब सब कुछ खत्म हो चुका है। तीन कृषि कानूनों को संसद द्वारा वापस ले लिया गया है।” सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की छह से सात मांग मान ली है इसलिए अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है। 

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