राष्ट्रीय वन जीव बोर्ड(एनबीडब्लूएल) की लालढांग.चिलरखाल मार्ग निर्माण को हरी झंडी,अब कोटद्वार से हरिद्वार और देहरादून के बीच कम होगी दूरी

  


देहरादून /  कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों को प्रदेश के भीतर ही सीधे आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-चिलरखाल- लालढांग) के चिलरखाल-लालढांग हिस्से के निर्माण का रास्ता हो गया है। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्लूएल) की शुक्रवार को हुई बैठक में उत्तराखंड की मांग के अनुरूप इस सड़क पर पुलों की ऊंचाई छह मीटर रखने की शर्त के साथ निर्माण को अनुमति दे गई। वन एवं पर्यावरण मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि अब इस सड़क का निर्माण होने पर कोटद्वार से हरिद्वार व देहरादून आने-जाने के लिए जनता को सहूलियत मिलेगी। साथ ही वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा और ज्यादा सशक्त हो सकेगी। उन्होंने सड़क की मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, महानिदेशक वन के प्रति आभार जताया है। वन मंत्री डा.रावत ने इस सड़क के निर्माण के संबंध में राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी से हाल में बातचीत की थी। सांसद अनिल बलूनी ने भी मार्ग को मंजूरी मिलने पर केंद्र के प्रति आभार जताया है।लालढांग-चिलरखाल मार्ग लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत है और यह राजाजी टाइगर रिजर्व से सटा है। पूर्व में सरकार ने 11 किलोमीटर लंबी इस सड़क के निर्माण का निर्णय लिया। इसके साथ ही लोनिवि को कार्यदायी संस्था नामित कर गैरवानिकी कार्यों के लिए वन भूमि भी हस्तांतरित कर दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सड़क के निर्माण पर रोक लगा दी। साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि यदि वह सड़क बनाना चाहती है तो राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से नियमानुसार अनुमति ले। इसके बाद बोर्ड व प्राधिकरण से अनुमति मिल गई, लेकिन फिर सड़क निर्माण के मामले में पुलों की ऊंचाई को लेकर पेच फंस गया।

 

Sources:JNN

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