कोरोना से मौत-स्पष्ट नहीं होता मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत का कारण,कैसे मिलेगा आश्रितों कोलाभ

कोरोना से मौत पर केंद्र और तमाम राज्यों की सरकारें मृतकों के आश्रितों को विभिन्न सुविधाएं देने के दावे कर रही हैं। उत्तराखंड में भी कोरोना से अनाथ हुए या माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु होने पर उनके नाबालिग बच्चों को वात्सल्य योजना के लाभ देने की सरकार की घोषणा है। ऐसे में किसी अस्पताल की ओर से जारी प्रमाणपत्र पर मृत्यु का कारण स्पष्ट न होने से भविष्य में आश्रितों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उनके पास हर मरीज का रिकॉर्ड रहता है। शासन के निर्देश और नियमानुसार रिकॉर्ड उपलब्ध करा दिया जाएगा। बता दें कि सरकारी अस्पतालों में मृत्यु प्रमाणपत्र अस्पताल की ओर से ही जारी किया जाता है। पहले अस्थाई और फिर बाद में स्थाई प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। आश्रितों को सरकार की योजनाओं का लाभ कैसे मिलेगा अस्थाई प्रमाणपत्र में तो मृत्यु का कारण लिखा होता है, लेकिन इस स्थाई प्रमाणपत्र से मौत के कारण का कॉलम ही गायब है। जबकि, निजी अस्पतालों में अस्थाई मृत्यु प्रमाणपत्र नगर निगम या संबंधित निकायों को भेजा जाता है। जहां से जरूरी औपचारिकताओं के बाद स्थाई प्रमाण पत्र बनता है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि मृत्यु प्रमाणपत्र में जब कोरोना से मृत्यु का कारण ही नहीं लिखा है तो आश्रितों को सरकार की योजनाओं का लाभ कैसे मिलेगा। जो फॉर्मेट बनाया गया है, उसी के हिसाब से मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं। अस्पताल की ओर से परिजनों को शव सौंपते वक्त अस्थाई मृत्यु प्रमाणपत्र दिया जाता है, जिसमें मृत्यु का प्राथमिक और अन्य कारण स्पष्ट रूप से लिखे होते हैं। उसके आधार पर स्थाई प्रमाणपत्र बनता है। अगर किसी व्यक्ति को ऐसी कोई जरूरत होगी तो शासन-प्रशासन के दिशा निर्देशों के अनुसार मृत्यु के कारण का प्रमाणपत्र अस्पताल की ओर से उपलब्ध करा दिया जाएगा।  - डॉ. केसी पंत, चिकित्सा अधीक्षक, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल 

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