हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा ने झोंकी अपनी पूरी ताकत, शाह, नड्डा और योगी ने संभाली जिम्मेदारी


तेलंगाना में 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और हैदराबाद नगर निगम का चुनाव भाजपा के लिए प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करने का अहम जरिया बन सकता है।



हैदराबाद नगर निगम चुनाव राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बनता जा रहा है क्योंकि एआईएमआईएम से लेकर भाजपा तक हर एक दल यहां पर अपनी पूरी ताकत झोंकने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन भाजपा की योजना कुछ और ही है। दरअसल, भाजपा नगर निगम चुनाव के माध्यम से तेलंगाना में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। बता दें कि तेलंगाना के 119 विधायकों में से भाजपा के महज 2 विधायक और 17 लोकसभा सीटों में से केवल 4 सांसद हैं। ऐसे में वह यह तो समझ गई है कि नगर निगम चुनाव ही वो जरिया है जिसके माध्यम से वह भाजपा के काम करने के तरीकों और नीतियों को लोगों तक पहुंचा सकते हैं। 



भाजपा की डबरा से जगी उम्मीद


तेलंगाना में 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और हैदराबाद नगर निगम का चुनाव भाजपा के लिए प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करने का अहम जरिया बन सकता है। लेकिन सवाल खड़ा होता है कि भाजपा को तेलंगाना में सेंधमारी करने हौसला कहां से मिला। तो जवाब है कि 10 नवंबर को जब तेलंगाना की डबरा विधानसभा उपचुनाव के परिणाम सामने आए थे तो इसमें भाजपा को जीत मिली थी। जिसकी बदौलत पार्टी का उत्साह बढ़ा था क्योंकि इस सीट पर के चंद्रशेखर राव की पार्टी का कब्जा था और भाजपा ने केसीआर के उम्मीदवार को हरा दिया था उन्हीं के गढ़ में।


ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है। इतना ही नहीं यह चार जिलों में फैला हुआ है। जिनमें हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मलकजगिरी और संगारेड्डी आते हैं और इनमें 24 विधानसभा सीटें आती हैं। इसके अतिरिक्त लोकसभा की 5 सीटें भी इन्हीं के अंतर्गत आती हैं। 


4 दिसंबर को आएंगे चुनाव परिणाम


ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम की 150 सीटों के लिए 1 दिसंबर को चुनाव होगा। जबकि परिणाम 4 दिसंबर को घोषित होंगे। पिछले चुनावों में केसीआर की टीआरएस को 99, एआईएमआईएम को 44 और भाजपा को 4 सीटें मिली थी। 4 सीटों पर संतोष करने वाली भाजपा ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। जिसके बाद मुकाबला रोचक हो गया है।


 


विशेषज्ञों ने बताया कि स्थानीय चुनाव लोकल मुद्दों पर लड़ा भी जाता है और जीता भी। ऐसे में देखा जाएगा कि भाजपा का कुछ करती है। हालांकि, भाजपा ने मुफ्त बिजली, पानी और कोरोना वैक्सीन समेत कई वादे किए हैं। 


भाजपा ने झोंकी अपनी पूरी ताकत


भाजपा ने केसीआर को उखाड़ फेंकने के लिए दमदार रणनीति तैयार की है। तभी तो अमित शाह से लेकर योगी आदित्यनाथ तक नगर निगम चुनाव में मोर्चा संभाल रहे हैं। इसके अतिरिक्त अमित शाह ने साल 2017 में भाजपा अध्यक्ष के तौर पर एक लक्ष्य निर्धारित किया था। वह लक्ष्य था भाजपा को पंचायत से लेकर संसद तक ले जाने का और अब इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है।


 


वहीं, बीते दिनों भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने 'रोड शो' किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि केसीआर और टीआरएस सरकार के जाने का समय आ गया है।


 


Sources:Agency News



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