अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों को समझाने गए मंत्री जी को ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा.


प्रतापनगर टिहरी गढ़वाल/  प्रतापनगर ब्लॉक के रौलाकोट गांव के पुनर्वास की मांग को लेकर बेमियादी धरना और क्रमिक अनशन चला रहे ग्रामीणों ने डोबरा-चांठी पुल के ऊपर सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान सेम-मुखेम धाम पूजा करने जा रहे वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत को आंदोलनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा।


उन्होंने वन मंत्री को पुल से बैरंग वापस भेजने को मजबूर किया। जिसके बाद मंत्री स्यांसू-भैंगा मार्ग से गंतव्य की ओर निकले। कहा यदि गांव का पुनर्वास नहीं किया गया तो वह सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी नौ नवम्बर को प्रस्तावित पुल के लोकार्पण कार्यक्रम में विरोध करेंगे। पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार रौलाकोट गांव के ग्रामीण डोबरा-चांठी पुल पर धरना स्थल से भारी संख्या में पहुंचे। ग्राम प्रधान आशीष डंगवाल, सागर भंडारी, दीपक थपलियाल के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पुल पर एक से दूसरे छोर पर जाकर प्रदर्शन किया।कहा कि उनकी खेती योग्य भूमि झील में डूब गई है। झील के कारण घरों और अवशेष भूमि पर दरारें पड़ रही हैं। यहां जीवन यापन करन दूभर हो गया है। बीते 16 अक्तूबर से उनका शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा हैं लेकिन शासन-प्रशासन, टीएचडीसी, पुनर्वास निदेशालय उनकी समस्याएं हल करने को तैयार नहीं है। इस बीच देहरादून से सेम-मखुम धाम दर्शन को बाया डोबरा-चांठी पुल से जा रहे वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत को भी आंदोलनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा।


ग्रामीणों ने उन्हें पुल से बैरंग वापस लौटा दिया। इस दौरान प्रशासन-पुलिस के अधिकारियों के साथ भी उनकी तीखी नोकझांेंक हुई। एसडीएम पीआर चौहान ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने। जिसके बाद मंत्री को स्यांसू होते ही सेम-मुखेम जाना पड़ा। कहा कि उनकी मांग जल्द नहीं मानी तो वह सीएम के कार्यक्रम का भी विरोध करेंगे।


इस मौके पर हीरालाल, अजय बिष्ट, सचिन डंगवाल, धनपाल सिंह, धर्म सिंह, गोकल बिष्ट, बलवंत धनाई, दीपक डंगवाल, कलम सिंह, एतवारी देवी, भंगैड़ी देवी, बसंता देवी, नारायणी देवी, अनिल थपलियाल, सौंला देवी, प्यारा देवी, गीता देवी, धीरज धनाई आदि शामिल रहे।


Source:GKM news


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