बिहार के चुनावी शोरगुल के बीच खामोश क्यों हैं प्रशांत किशोर? बढ़ी राजनीतिक दलों की बेचैनी


प्रशांत किशोर का आखिरी ट्वीट भी जुलाई महीने में है, वह भी कोरोनावायरस पर। चुनाव में हमेशा सक्रिय रहने वाले प्रशांत किशोर आखिर इस बार इतने शांत क्यों है? बात बिहार की के जरिए प्रशांत किशोर ने अपने से लोगों को जोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन वर्तमान में देखें तो बात बिहार की भी बहुत कम ही चर्चा में है।



 


बिहार चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर है। लेकिन सबके मन में एक ही सवाल है कि प्रशांत किशोर कहां है? चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर दो-तीन महीने पहले तक 'बात बिहार की' कर रहे थे लेकिन वर्तमान में बिहार में चुनावी सरगर्मियां के बीच उनकी उपस्थिति बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि चुनाव से पहले जिनके एंट्री से हो हल्ला मच जाता था वह आखिर इस बार के चुनाव में इतने शांत क्यों है? चुनावी शोरगुल के बीच प्रशांत किशोर की खामोशी लगातार नोटिस की जा रही है। यह सवाल करीब-करीब हर किसी की जुबां पर है। जेडीयू के उपाध्यक्ष बनने तक वह लगातार सुर्खियों में रहे। जब प्रशांत किशोर ने जेडीयू से नाता तोड़ा तब उसके बाद भी वह चर्चा में रहे लेकिन अब कहां है?



 


2014 के बाद से यह शायद ऐसा पहला चुनाव है जिसमें प्रशांत किशोर सक्रिय रुप से नजर नहीं आ रहे हैं। ना हीं वह किसी राजनीतिक दल के लिए प्लान तैयार कर रहे हैं और ना ही अपने 'बात बिहार की' के जरिए इस चुनावी सरगर्मियां में ताल ठोक रहे हैं। जदयू से अलग होने के बाद प्रशांत किशोर जिस तरह नीतीश कुमार की आलोचना कर रहे थे और 'बात बिहार की' के जरिए लोगों को साधने की कोशिश कर रहे थे, उसके बाद से यह अंदाजा भी लगाया जा रहा था कि अगले चुनाव में प्रशांत किशोर भी चुनावी दंगल में दिखाई दे सकते हैं। हालांकि ठीक इसके उलट दिखाई दे रहा है। 


प्रशांत किशोर का आखिरी ट्वीट भी जुलाई महीने में है, वह भी कोरोनावायरस पर। चुनाव में हमेशा सक्रिय रहने वाले प्रशांत किशोर आखिर इस बार इतने शांत क्यों है? बात बिहार की के जरिए प्रशांत किशोर ने अपने से लोगों को जोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन वर्तमान में देखें तो बात बिहार की भी बहुत कम ही चर्चा में है। इसके जरिए ना तो अभी तक प्रशांत किशोर ने कुछ कहा है और ना ही वह कभी इसे प्रमोट करते हुए दिखाई दिए हैं। फिर ऐसे में प्रशांत किशोर आखिर कहा है? राजनीतिक दलों को चुनावी मौसम में डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों से जुड़ने की बात समझाने वाले आज इतने खामोश क्यों हैं? उन्होंने बिहार चुनाव को लेकर भी अब तक कोई ट्वीट नहीं किया है।


कोरोना संकट के दौर में बिहार चुनाव में डिजिटल प्रचार खूब देखा जा रहा है। प्रशांत किशोर ने बीजेपी से लेकर कई और पार्टियों के लिए काम किया है। खबर के मुताबिक माना यह जा रहा है कि इस चुनाव में भी प्रशांत किशोर भले ही कैमरे के सामने नहीं है लेकिन वह कैमरे के पीछे से अपना कमाल दिखाने में जुटे हुए हैं। यह दावा किया जा रहा है कि प्रशांत किशोर छोटे दलों के नेताओं से लगातार संपर्क में है। वह इस चुनाव में आरएलएसपी और लोजपा जैसी पार्टियों के लिए पीछे से रणनीति बना रहे हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि चिराग पासवान के एनडीए से बाहर आने का फैसला प्रशांत किशोर की ही रणनीति का एक बड़ा हिस्सा है। प्रशांत किशोर ने ही चिराग को बिहार में 'एकला चलो' का मंत्र दिया है।


प्रशांत किशोर पर जदयू आक्रमक हो रही है। जदयू ने साफ तौर पर कहा कि 'बात बिहार की' के फ्लाब होने के बाद अब प्रशांत किशोर लोजपा जैसी पार्टियों के लिए रणनीति बना रहे हैं। हालांकि जदयू के इस आरोप को लोजपा ने सिरे से खारिज कर दिया है। उधर, प्रशांत किशोर की टीम ने कहा कि कोरोना की वजह से वह इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में शामिल नहीं हो रहे हैं। बात बिहार की फिलहाल में सबसे बड़ा राजनीतिक प्लेटफॉर्म है। इसे 20 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।


Source:Agency News



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