स्कूल फीस : पब्लिक स्कूल कर रहे सरकार व हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन। तीन माह की फीस जमा करने का बना रहे दबाव


देहरादून/भानियावाला। सरकार से लेकर हाईकोर्ट तक के आदेशों का निजी स्कूलों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। कई स्कूल अभी भी अभिभावकों को मैसेज के जरिए तीन माह की फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। ऐसे में अधिकांश अभिभावक स्कूलों से भिडऩे में असमर्थ हैं, जबकि कुछ ऐसे अभिभावक भी हैं, जो ऐसे स्कूलों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।


ऐसे ही दो स्कूल देहरादून जनपद के दून पब्लिक स्कूल भानियावाला और माउंट लिट्रा जी स्कूल भानियावाला हैं, जिन पर अभिभावकों ने ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने तीन माह की फीस जमा करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है।


इस संबंध में वरिष्ठ समाजसेवी योगेश राघव और पीस ऑफ इंडिया परिवार के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रभारी उत्तराखंड उत्तर प्रदेश के नेतृत्व में अभिभावकों ने एक मीटिंग में अपनी समस्याएं रखीं। अभिभावकों का आरोप है कि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन पढाई, जो कि वाहट्सप के माध्यम से हो रही है और स्कूल विगत वर्ष के छात्र छात्राओं की नोटबुक से फोटो खींच खींच कर बच्चों को ग्रुप में भेज रहे हैं, जो कि बच्चों की समझ से बाहर है। इस ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर स्कूल अभिभावकों को तीन माह की फीस जमा करने का मैसेज बार बार कर दबाव रहा है।


व्हाट्सप की इस पढ़ाई से अभिभावक असंतुष्ट हैं तथा विद्यालय को इस बात की सूचना देने पर भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं किया जा रहा है।



इस संबंध में योगेश राघव बताते हैं कि उच्च न्यायालय के आदेशानुसार जो भी अभिभावक ऑनलाइन की पढ़ाई से संतुष्ट नहीं हैं, उन पर स्कूल प्रबंधन फीस देने के लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बना सकता है। सभी अभिभावकों का एक मत है कि उच्च न्यायालय के आदेशानुसार यदि हम ऑनलाइन पढाई से संतुष्ट नहीं हैं तो हम तीन माह की फीस नहीं देंगे, जब तक ऑनलाइन के सही माध्यम के द्वारा पढाई नहीं कराई जाती, तब तक कोई अभिभावक किसी प्रकार की फीस नहीं देंगे और जब ऑनलाइन के सही माध्यम से पढाई शुरू हो जाएगी, उसके बाद अभिभावक फीस जमा करेंगे।


मीटिंग में सभी अभिभावकों ने योगेश राघव के नेतृत्व में एक साथ मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए संघर्ष की बात कही है। योगेश राघव ने अभिभावकों से आह्वान किया है कि वह सभी इस मुद्दे पर एकजुट होकर उनका साथ दें, ताकि स्कूल प्रशासन पर उचित कार्रवाई हो सके और इस तरह की मनमानियों पर रोक लगाई जा सके।


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