श्रम मंत्री के विभाग में बड़े घोटाले की आशंका। हजार रुपए देने को नहीं मिल रहे 51 हजार श्रमिक

 



देहरादून। उत्तराखण्ड श्रम विभाग द्वारा मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार कोरोना वायरस कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी के बचाव को प्रधानमंत्री द्वारा लगाये गए देशव्यापी लॉकडाउन से निपटने के लिये लगभग एक महीना बीत जाने के बाद भी अभी तक प्रदेश के 50 हजार से अधिक श्रमिकों के खाते में राहत राशि नहीं डाली जा सकी है। उत्तराखण्ड श्रम विभाग को अपने भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत 2,35,897 श्रमिकों में से 51,292 श्रमिक अभी तक नहीं मिल पाये हैं। जिससे लगभग एक महीना गुजरने के बाद भी उनके खाते में एक-एक हजार रूपये की धनराशि अभी तक सीधे ट्रांसफर नहीं हो पायी है।


बताते चलें कि, इसके लिये श्रम विभाग ने बाकायदा समाचार पत्र में विज्ञापन जारी कर इन श्रमिकों से उनका श्रम कार्ड, बैंक एकाउन्ट आइएफएससी कोड़ भी मांगा है। बोर्ड की सचिव दमयन्ती रावत द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि, प्रदेश के इस बोर्ड में 2,35,897 श्रमिकों को त्वरित राहत के लिये एक-एक हजार रूपये की मदद राशि उनके खाते में सीधे ट्रांसफर किये जानी थी। लेकिन 18 अप्रैल तक केवल 1,84,605 श्रमिकों के खाते में ही यह धनराशि ट्रांसफर की जा सकी है। शेष 51,292 श्रमिकों के खाते में अभी तक एक-एक हजार रूपये की राशि ट्रांसफर नहीं की जा सकी हैं। जबकि श्रम मंत्री के गृह जनपद पौड़ी गढ़वाल में में 28815 श्रमिक विभाग में पंजीकृत है।


श्रम मंत्री के गृह जनपद में नहीं हो रहा काम


प्रदेश के श्रम मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के गृह जनपद में भी मुश्तैदी से काम नहीं हो रहा है। पौड़ी जनपद में 28,815 श्रमिक विभाग में पंजीकृत है। जबकि 19,924 श्रमिकों के खाते में ही अभी तक एक-एक हजार रूपये की धनराशि डाली गई है। जब प्रदेश के श्रम मंंत्री के गृह जनपद में ही इतनी सुस्त रफ्तार से श्रमिकों के खाते में पैसे ट्रास्फर किये जा रहे है, तो प्रदेश के अन्य जनपदों की स्थिति की अंदाजा लगाया जा सकता है। अब ऐसे में कई बड़े सवाल खडें होते है।


मुख्यमंत्री की घोषणा को गम्भीरता से नहीं ले रहा बोर्ड


कोरोना वायरस कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी के बचाव को प्रधानमंत्री द्वारा लगाये गये देशव्यापी लॉकडाउन से निपटने के लिये मजदूर वर्ग को राहत के रूप में एक-एक हजार रूपये सीधे उनके खाते में ट्राँसफर किये जाने की घोषणा प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा की गई थी। किन्तु लगभग एक महीना बीतने को है कि, श्रम विभाग अभी तक अपने सभी 2,35,897 श्रमिकों के खाते में राहत राशि डालने में असफल रहा है। जिससे साफ लगता है कि, उत्तराखण्ड श्रम विभाग का भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड मुख्यमंत्री के आदेश को गम्भीरता से नहीं ले रहा है।


आखिर कहा है 51,292 श्रमिकों का रिकॉर्ड


उत्तराखण्ड श्रम विभाग पंजीकृत 2,35,897 में से 51,292 श्रमिकों के खाते का विवरण आखिर क्यों नहीं मिल रहा? हां बोर्ड की विज्ञप्ति के अनुसार जिन श्रमिकों के खाते का विवरण बोर्ड के पास था उन 1,84,605 श्रमिकों के खाते में कछुआ चाल से एक-एक हजार रूपये ट्रांसफर हो गये है। अब श्रम विभाग द्वारा उपश्रमायुक्त कोटद्वार के नाम से बाकायदा एक अखबार में विज्ञप्ति जारी कर कहा गया है कि, श्रम विभाग में भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार जो श्रमिक पंजीकृत हैं और जिन्हें एक-एक हजार रूपये की राहत राशि नहीं मिली है। वह अपने श्रम कार्ड की आगे-पीछे की, बैंक एकाउन्ट आइएफएससी कोड़ सहित की प्रति को व्हाट्सएप्प नम्बर 8218166978 पर भेज दें। जिसका सीधा-सीधा मतलब है कि, विभाग के पास बाकी लोगों का रिकार्ड गायब हो गया है या है ही नहीं।


बोर्ड द्वारा बड़े घोटाले को अंजाम देने की आशंका


कोरोना वायरस कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी के बचाव को प्रधानमंत्री द्वारा लगाये गये देशव्यापी लॉकडाउन से निपटने के लिये जहां अन्य विभागों ने राहत के रूप में जरूरतमंदों को तत्काल राहत राशि पहुंचा दी है, और तो और केन्द्र सरकार ने जनधन के करोड़ों खातों में धनराशि ट्रांसफर कर दी है। वहीं जनता के खून पसीने की कमाई के भवन निर्माण के समय लेवर सेस के रूप में जमा करोड़ों की धनराशि जमा होने के वाबजूद उत्तराखण्ड का भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद एक माह में भी मजदूर वर्ग को त्वरित राहत के रूप में एक-एक हजार रूपये सीधे सभी श्रमिकों के खाते में ट्राँसफर नहीं कर पाना मुख्यमंत्री को हल्के में लेने की नीयत लग रही है, और अगर यह नहीं है तो बोर्ड पंजीकृत 2,35,897 श्रमिकों में से लगभग 50 हजार श्रमिकों को ढूंढ़ रहा है। जो कि साफ इस ओर इशारा कर रहा है कि यहां श्रमिकों के पंजीकरण में बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा हो रखा है। यदि बोर्ड में श्रमिकों के पंजीकरण में फर्जीवाडा है तो अब तक उनको दी जानी वाली सुविधाओं के रूप में भी करोड़ों का हेर-फेर किया गया होगा। जिसका उच्चस्तरीय जांच कर खुलासा किया जा सकता है।


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