रमजान: लॉकडाउन में होगा शुरुआती हफ्ते का रोजा, घर से होगी इबादत-नमाज

नई दिल्ली: देश में रमजान का महीना 24 या 25 अप्रैल से होगा शुरू कोरोना के चलते लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक की गई. कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार देश में बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है. ऐसे में मुसलमानों का पवित्र रमजान का महीना 24 या 25 अप्रैल से शुरू होने की संभावना है. मुसलमानों को शुरुआती हफ्ते का रोजा लॉकडाउन के बीच ही रखना होगा और तरावीह की नमाज पढ़ने से लेकर बाकी इबादत भी अपने-अपने घरों से करनी होगी.


मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समाज के लोग पूरे एक महीने खुदा की इबादत करते हैं. मुसलमान दिन में पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत और दिन में रोजा (उपवास) रखकर करते है. तड़के सहरी और शाम को सूरज ढलने के बाद एक इफ्तार करते हैं. इसके अलावा मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान में तरावीह की विशेष नमाज को सामूहिक रूप अदा करते हैं.


 


दरअसल कोरोना संक्रमण के चलते भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मस्जिदें पूरी तरह से बंद हैं. मुसलमानों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल मक्का और मदीना तक बंद. दुनियाभर के तमाम मुस्लिम देशों ने रमजान पर धार्मिक स्थलों पर इबादत, इफ्तार आदि पर रोक लगा दी है. मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों में आजादी से नहीं जा सकेंगे. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए सरकार और मुस्लिम धर्मगुरुओं के द्वारा मुस्लिम समुदाय से अपने-अपने घरों से नमाज पढ़ने और इबादत करने की अपील लगातार की जा रही है.


लखनऊ ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने भी मुसलमानों के लिए एडवाइजरी करके कहा कि रमजान के दौरान भी लॉकडाउन का पालन करें. इस महामारी से बचाने के लिए अल्लाह से खास दुआ करें. उन्होंने कहा कि इबादतों से भरपूर रमजान का महीना ऐसे वक्त पड़ रहा है जब देश और पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रही है. कई लोगों की जिंदगी में ऐसा पहली बार हो रहा है कि मुस्लिम घरों में रहकर रमजान मनाएगा.


केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कोरोना के कहर को देखते हुए रमजान के पवित्र महीने के दौरान भारतीय मुसलमानों को लॉकडाउन के दिशा निर्देशों एवं सामाजिक दूरी का पूरी ईमानदारी से पालन करते हुए अपने-अपने घरों पर ही इबादत करने का अनुरोध किया. उन्होंने राज्यों के विभिन्न वक्फ बोर्ड के तहत देश भर में 7 लाख से ज्यादा पंजीकृत मस्जिदें, ईदगाहें, इमामबाड़े, दरगाहें और अन्य धार्मिक संस्थान आते हैं, यहां पर किसी परिस्थिति में लोग एकट्ठा न हों.


बता दें कि रमजान के मुबारक महीने के मौके पर मुस्लिम समुदाय हर रोज देर शाम विशेष रूप से लंबी नमाज सामूहिक रूप से अदा करते हैं, जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है. रमजान का चांद निकलने के साथ ही तरावीह शुरू हो जाती है. कोरोना वायरस संकट के चलते लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया. इस तरह से रमजान का करीब एक सप्ताह लॉकडाउन के बीच गुजरेगा, जिसमें तरावीह की नमाज सामूहिक रूप से नहीं हो सकेगी.


मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि रमजान में लोग तरावीह भी जरूर पढ़ें, लेकिन मस्जिद में एक वक्त में पांच से ज्यादा लोग जमा ना हों. मुहल्ले के बाकी लोग मस्जिदों में आने के बजाय अपने अपने घरों में ही रहकर तरावीह की नमाज अदा करें. साथ ही कहा कि जिन घरों में हाफिज हों तो वह पूरी कुरान मजीद पढ़ें, वरना जिसको जितना भी याद हो, वह 20 रकात में उसे पढ़ें. उन्होंने लोगों को एक जगह पर इकट्ठा होने से भी मना किया है और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करने की अपील की है.


उन्होंने कहा कि मस्जिद में एक वक्त में 5 से ज्यादा लोग न जुटें. फिलहाल जो लोग मस्जिद में ही रह रहे हैं, इफ्तारी मस्जिद सिर्फ उन्हीं को भेजी जाए. साथ ही कहा कि रमजान के महीन में जो लोग हर साल मस्जिद में इफ्तारी भेजते थे, वह इस साल भी करें, लेकिन मस्जिद के बजाय जरूरतमंदों के घर भी पहुंचाएं. रमजान में इफ्तार पार्टियां करने वाले इसकी रकम से गरीबों को राशन बांटें.


मौलाना ने कहा कि मुसलमान पूरे महीने रोजे रखें और रमजान में खासकर इफ्तार के वक्त कोरोना से मुक्ति के लिए खास दुआ करें. जो लोग हर साल मस्जिद में गरीबों के लिए इफ्तारी का आयोजन करते थे, वे इसे इस साल भी करें, लेकिन उस खाने को मस्जिद भेजने के बजाय जरूरतमंदों कुछ रकम या फिर उसके राशन को गरीबों में बांट दें. साथ ही कहा कि रोजेदार इस बात को सुनिश्चित करें कि रमजान के मुबारक महीने में कोई भी इंसान भूखा ना रहे.


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