मुम्बई से सबक लेते हुए केजरीवाल ने कहा, सभी पत्रकारों का कराएंगे कोरोना टेस्ट

 



कोरोना योद्धाओं में कथित तौर पर पत्रकारों को भी शामिल किया गया है। कथित तौर पर इसलिए कह रहा हूं कि अभी तक भी किसी प्रदेश की सरकार या केंद्र सरकार ने पत्रकारों को सम्मान दिलाने या फूल बरसाने का साहस नहीं दिखाया है।


क्योंकि पत्रकार चौथा स्तंभ होते हैं और इस समय उनकी सूचनाओं की देश को सख्त जरूरत है। पत्रकारों की सूचनाओं के आधार पर प्रशासन कोरोना बीमारी को कम करने में जुटा हुआ है।


एक तरह से देखा जाए तो प्रशासन और आम आदमी के बीच क्या पुल पत्रकार बनाता है। लेकिन यही पत्रकार अब कोरोना के प्रभाव में आकर खतरे में पड़ गया है। शुरुआत देश के सबसे बड़े कोरोना प्रभावित प्रदेश महाराष्ट्र से हुई है। जहां के 53 पत्रकार कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाए गए है। ऐसा नहीं है कि इन पत्रकारों की चिंता किसी प्रदेश की सरकार को थी। वह तो भला हो महाराष्ट्र जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का जिन्होंने सरकार से अपील की कि पत्रकारों का कोरोना टेस्ट कराया जाए।


अकेले मुंबई में ही 167 पत्रकारों का कोरोना टेस्ट कराया गया जिसमें 53 पत्रकार कोरोना से ग्रस्त पाए गएं। हालांकि, महाराष्ट्र सरकार में अब उनको आइसोलेशन कर रखा है। लेकिन सवाल यह है कि समय रहते सरकार इस मामले में क्यों नहीं चेती।


अब जब महाराष्ट्र खासकर मुंबई में पत्रकारों के कोरोना से संक्रमण का मामला सामने आ चुका है तो दिल्ली सरकार भी सजग हो गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुंबई से सबक लेते हुए आज कहा है कि दिल्ली में पत्रकारों के कोविड-19 यानी कोरोना टेस्ट कराए जाएंगे।


फिलहाल इसके लिए दिल्ली सरकार ने पत्रकारों को निशुल्क सुविधा देने की बात कही है। लेकिन ऐसे समय में जब पत्रकार कोरोना वायरस से पीड़ित पाए जा रहे हैं तो क्या देश में पत्रकारों के लिए कोई पॉलिसी नहीं बन सकती है। जिससे उनके लिए बीमारी में सहायता की जा सके। समय की मांग को देखते हुए इस पर सोच विचार करना बहुत जरूरी है।


टिप्पणियाँ