इंसानियत और भाई चारे का पैगाम देती है होली


कहकशा नसीम


बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही बाग-बगीचों में अपनी खुश्बू बिखेरते हुए फूल मानों ऐसा लगता है वो इतराकर ये संदेश देना चाह रहे हों कि बागवान कोई भी हो हमारा काम तो अपनी खुश्बु बिखेरना ही है। इन रंग-बिरंगे फूलों का मदमस्त होकर फाल्गुनी बयार में झूमना ही इस बात का संदेश है कि रंगों का त्योहार होली करीब है। साम्प्रदायिक सदभाव, प्रेम और भाई-चारे का ये पर्व लोगों में पनप रही दिलों की दूरियों को कम करने का पर्व है। आज इंसान को इंसान से अलग करने की शुगल में लगे लोग इंसानियत का गला घोंट रहे हैं, ऐसे में होली का पर्व ही एक ऐसा पर्व है जिसमें सर्व-धर्म संभाव का पैगाम निहित होता है। इसीलिए आपसी भाईचारे और प्रेम का पैगाम आम लोगों तक पहुंचाने के मकसद से होली का पर्व सभी धर्मों के लोगों द्वारा सामूहिक रूप ये आयोजित किया जाता है, जिससे सभी धर्म के लोग एक मंच पर आकर आपस में प्रेम बांटकर लोगों को अमन-चैन, आपसी भाईचारे का संदेश दे सकें। 

प्रभागीय वनाधिकारी 
मसूरी वन प्रभाग
देहरादून


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