अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ा बजट सत्र- गैरसैंण में अफसरों ने झेला जल संकट तो मंत्रियों को मिला ठंडा नाश्ता



गैरसैंण/गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के ख्वाब के साथ बजट सत्र की शुरुआत अव्यवस्थाओं के बीच हुई। दिनभर पानी, मोबाइल नेटवर्क से लेकर खाने तक के लिए मारामारी रही। अफसरों को जल संकट झेलना पड़ा, मंत्रियों को ठंडा नाश्ता मिला। नेट कनेक्टिविटी न होने से कैबिनेट बैठक का एजेंडा तय नहीं हो पाया। यह राज्य के विकास की चर्चा तक सीमित रही। विधायक भी सदन में साउंड सिस्टम से परेशान दिखे। गैरसैंण के पास भराड़ीसैंण में विधानसभा की खूबसूरत टाउनशिप अब बनकर तैयार हो चुकी है, मगर राजकाज की व्यवस्था अभी कोसों दूर है। मंगलवार के दिन की शुरुआत जल संकट के साथ हुई। अफसरों को नित्य क्रिया के लिए पानी का जुगाड़ तक करना पड़ गया। मंत्रियों के फ्लैट पर नाश्ता गर्म करने के लिए सुबह 8 बजे तक गैस नहीं पहुंच पाई। दूसरी ओर, सेंट्रलाइज किचन में भी दिनभर मारामारी रही। आसपास होटल-ढाबे नहीं थे, इस वजह से कई लोग दिन में भूखे ही रह गए।विधानसभा के बजट सत्र के चलते सबसे बड़ा संकट रात बिताने को लेकर पैदा हुआ। सरकारी कर्मचारियों को करीब 45 किमी दूर कालेश्वर और लगासू में ठहराया गया है। कुछ कार्मिक निजी खर्च पर गैरसैंण के होटलों में ठहरने को मजबूर हैं, लेकिन यहां तीन तीन हजार रुपये में कमरा लेने के बाद भी पानी नहीं मिल पा रहा है। मंगलवार को सभी कर्मचारी विधानसभा सचिवालय से कमरे दिलाने की गुहार करते रहे। अव्यवस्थाओं से खिन्न एक अफसर ने तो टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया-करोड़ों की सुविधाएं जोड़कर भी हम बजट सत्र आयोजित नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में राजधानी चला पाएंगे? इस पर निश्चित तौर पर सवाल उठेंगे।भराड़ीसैंण में सेंट्रलाइज किचन दूर होने से आने या जाने को  आमजन हो या फिर खास, हर किसी को पगडंडी का सहारा लेना पड़ा। भराड़ीसैंण में पूरे दिन मोबाइल नेटवर्क भी नहीं चल पाया। मीडिया सेंटर पर पानी तक के इंतजाम नहीं थे।वहीं विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का कहना था कि मेरे पास शिकायतें आई हैं। बिजली-मोबाइल नेटवर्क की समस्या भी रही। अधिकारियों ने 29 फरवरी तक सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की बात कही थी। लेकिन, कई कमियां रह गई हैं। मैं इस पर अधिकारियों से बात करूंगा।


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