मानसून की रफ्तार सितंबर तक बनी रहेगी : आईएमडी महानिदेशक
दिल्ली : सरकार ने सोमवार को यमुना नदी में संभावित बाढ़ को लेकर चेतावनी जारी की है। हथिनीकुंड बैराज से सुबह 29,313 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि राजधानी में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जा सकता है। अधिकारियों को निचले इलाकों में लगातार गश्त करने और संवेदनशील स्थानों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ओल्ड रेलवे ब्रिज (ओआरबी) पर जलस्तर 206.50 मीटर से अधिक हो सकता है, जिसके चलते केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा जल्द ही एक औपचारिक सलाह जारी की जा सकती है।
दिल्ली सरकार ने सभी सेक्टर अधिकारियों को सतर्क रहने और अपने-अपने क्षेत्रों में आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। खासतौर पर नदी के तटबंधों के भीतर रहने वाले लोगों को तुरंत चेतावनी दी जाए और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की तैयारी की जाए। पुलिस और वन एवं वन भूमि संरक्षण विभाग के कर्मचारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे यमुना के दाएं और बाएं सीमांत तटबंधों पर लगातार गश्त करें और पंपों व नियामकों जैसे संवेदनशील बिंदुओं पर 24 घंटे निगरानी रखें।
इस बीच गुरुवार को मयूर विहार में बाढ़ राहत शिविर स्थापित किया गया है, क्योंकि पिछले दिनों यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था। राहत शिविरों के बारे में मयूर विहार निवासी अशोक ने बताया कि ये तंबू खासतौर पर उन परिवारों के लिए लगाए गए हैं, जो नदी किनारे रहते हैं। यदि पानी बढ़ता है तो वे लोग सुरक्षित रूप से इन शिविरों में शरण ले सकेंगे।
बढ़ते जलस्तर और बाढ़ के खतरे के बीच मौसम विभाग ने भी चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने राजधानी में एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि अगस्त 2025 भारत के लिए दशकों में सबसे अधिक वर्षा वाला महीना रहा है। उन्होंने कहा कि अगस्त के उत्तरार्ध में मानसून की गतिविधि बेहद प्रबल रही और यह रुझान सितंबर तक जारी रहने की संभावना है।
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में पूरे भारत में 268.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 2001 के बाद से सातवीं सबसे अधिक और 1901 के बाद से 45वीं रैंक पर है। उत्तर-पश्चिम भारत में 265.0 मिमी वर्षा दर्ज हुई, जो 2001 के बाद से सबसे अधिक और 1901 के बाद से 13वीं रैंक पर रही। वहीं, दक्षिण भारत में 250.6 मिमी बारिश हुई, जो 2001 के बाद से तीसरी और 1901 के बाद से आठवीं सबसे अधिक दर्ज की गई वर्षा है।
इस असाधारण बारिश ने कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं और दिल्ली भी इससे अछूती नहीं है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि जनता की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और बाढ़ के खतरे से निपटने के लिए हर स्तर पर तैयारी की जा रही है।
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