उत्तराखण्ड में जल संकट दूर करने को शुरू हुई “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना”
देहरादून : उत्तराखण्ड में जल संकट से निपटने के लिए एक नई ऐतिहासिक पहल की शुरुआत की गई। विधानसभा भवन भराड़ीसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने स्वामी राम विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के सहयोग से “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कोटद्वार की जैव विविधता पर आधारित फोटो संग्रह “वाइब्रेंट बर्ड ऑफ कोटद्वार” का विमोचन भी किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार तकनीकी नवाचारों को अपनाकर जल संकट से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। यह योजना जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने कहा कि जल संरक्षण केवल पर्यावरणीय जरूरत नहीं, बल्कि उत्तराखण्ड के भविष्य की जीवनरेखा है। उन्होंने इसे सतत जल प्रबंधन और भूजल सुरक्षा के लिए मील का पत्थर बताया।
इस योजना के लिए 8 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान भराड़ीसैंण और स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के बीच एमओयू हुआ था। डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना के तहत उपचारित वर्षा जल को निष्क्रिय हैंडपंपों में इंजेक्ट कर भूजल स्तर को बढ़ाया जाएगा। इस तकनीक को विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने विकसित किया है। पहले चरण में गैरसैंण और चौखुटिया विकासखंडों के 20 चयनित हैंडपंपों को पुनर्भरण कर फिर से सक्रिय किया जाएगा।
विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम ने प्रस्तुति देकर बताया कि यह तकनीक वर्षा जल को फिल्टर और ट्रीट कर सीधे भूजल तक पहुंचाती है, जिससे सूखे हैंडपंप पुनः सक्रिय हो जाते हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई, जिसमें गैरसैंण क्षेत्र के गांवों में लागू तकनीक और उसके सकारात्मक परिणाम दर्शाए गए।
कार्यक्रम में वन मंत्री सुबोध उनियाल, कृषि मंत्री गणेश जोशी, विधायकगण, विभिन्न विभागों के सचिव, विधानसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी और स्वामी राम विश्वविद्यालय के अधिकारी उपस्थित रहे।
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