वीवीपीएटी खत्म करने के चुनाव आयोग के कदम पर ठाकरे का सवाल
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोमवार को भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया ने तानाशाही का रूप देखा, जब विपक्ष ने चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन किया। ठाकरे के अनुसार, केंद्र सरकार ने दिल्ली में तमाशा किया और विपक्षी सांसदों को चुनाव आयोग तक ले जाने का आश्वासन देकर झूठे तरीके से हिरासत में लिया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि जब शिवसेना भाजपा के साथ गठबंधन में थी, तब एक भाजपा नेता ने उन्हें ईवीएम हैकिंग पर प्रेजेंटेशन दिया था, हालांकि उन्होंने उस नेता का नाम नहीं बताया, बस इतना कहा कि वह अब भी भाजपा में हैं।
ठाकरे ने चेतावनी दी कि विपक्ष द्वारा कथित रूप से पिछले लोकसभा चुनावों में की गई वोट चोरी आगामी बिहार चुनावों में दोहराई जा सकती है। उनकी यह टिप्पणी उस दिन आई जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में लगभग 300 विपक्षी नेताओं को कथित चुनावी धांधली के मुद्दे पर चुनाव आयोग कार्यालय की ओर मार्च के दौरान पुलिस ने रोक दिया और हिरासत में लिया। हिरासत में लिए गए नेताओं में राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल थे।
ठाकरे ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाए जाने की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि हो सकता है उनकी पार्टी में कोई ऐसा व्यक्ति हो जो नहीं चाहता कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में जीतें। उन्होंने कहा कि गडकरी को इस पर नियंत्रण रखना चाहिए।
चुनाव आयोग के आचरण पर सवाल उठाते हुए ठाकरे ने पूछा कि क्या चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट से बड़ा है? उनके मुताबिक, चुनाव आयुक्त ऐसे काम कर रहे हैं जैसे वे राष्ट्रपति से भी बड़े हों। उन्होंने कहा कि वे देखना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है। ठाकरे ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपीएटी (वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) को खत्म कर रहा है, जो चुनावी पारदर्शिता के लिए गंभीर खतरा है।
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