वैष्णो देवी मार्ग पर भीषण भूस्खलन, मृतकों की संख्या बढ़कर 32

 


जम्मू-कश्मीर : रियासी जिले में माता वैष्णो देवी मंदिर मार्ग पर हुए भीषण भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 32 हो गई है। मंगलवार दोपहर हुई इस घटना में कई तीर्थयात्री मलबे में फंस गए थे, जिनमें से 20 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं। हादसा उस समय हुआ जब त्रिकुटा पहाड़ी की ढलान लगातार बारिश के चलते अचानक धंस गई और भारी मात्रा में पत्थर व चट्टानें मार्ग पर आ गिरीं। इसके बाद तीर्थयात्रा तत्काल रोक दी गई। प्रशासन ने हिमकोटि ट्रैक मार्ग को पहले ही बंद कर दिया था, लेकिन पुराने मार्ग पर यात्रा दोपहर तक जारी रही। करीब 1:30 बजे के बाद भारी बारिश को देखते हुए इसे भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

जम्मू क्षेत्र पिछले कुछ दिनों से मूसलाधार बारिश की चपेट में है। नदियाँ उफान पर हैं, भूस्खलन लगातार हो रहे हैं और निचले इलाकों से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों तक जनजीवन अस्त-व्यस्त है। इससे पहले 17 अगस्त को कठुआ जिले में बादल फटने से सात लोगों की मौत हो गई थी और 11 अन्य घायल हुए थे। मंगलवार को दोपहर में मंदिर मार्ग पर एक और भूस्खलन हुआ था, जिसमें नौ तीर्थयात्रियों की जान चली गई और 21 घायल हो गए। इस आपदा ने यात्रा मार्ग को खंडहर में बदल दिया है और अधिकारियों ने आशंका जताई है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।

मौसम विभाग के मुताबिक मंगलवार को जम्मू में सुबह 11:30 बजे से शाम 5:30 बजे के बीच केवल छह घंटे में 22 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई। देर रात बारिश थमी तो थोड़ी राहत मिली, लेकिन तब तक नुकसान काफी हो चुका था। लगातार बारिश और भूस्खलन के चलते त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित मंदिर मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि वह संचार व्यवस्था ठप होने से जूझ रहे हैं। केंद्र शासित प्रदेश के बड़े हिस्से में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएँ ठप हो गई हैं, जिससे लाखों लोग संचार से वंचित हैं। पुल, बिजली के खंभे और मोबाइल टावर टूट गए हैं, जिससे संकट और गहरा गया है।

जम्मू जिले में अचानक बाढ़ और जलभराव से 3,500 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। जिला प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें राहत-बचाव कार्यों में जुटी हैं। चिनूक और एमआई-17 वी5 जैसे हेलीकॉप्टरों को भी राहत कार्यों के लिए तैयार रखा गया है। संगम के पास झेलम नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है, जिसके चलते बाढ़ की चेतावनी जारी की गई है।

बारिश और बाढ़ का असर व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है। जम्मू और सांबा के 20 से अधिक निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं। लगातार संकट कॉल जिला नियंत्रण कक्ष पर आ रहे हैं। जम्मू शहर, आरएस पुरा, सांबा, अखनूर, नगरोटा, बिश्नाह, विजयपुर, कठुआ और उधमपुर के कई हिस्से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

खराब मौसम को देखते हुए जम्मू संभाग के सभी सरकारी और निजी स्कूल 27 अगस्त तक बंद रखने का आदेश दिया गया है। जम्मू-कश्मीर बोर्ड ने बुधवार को होने वाली कक्षा 10वीं और 11वीं की परीक्षाएँ स्थगित कर दी हैं।

वहीं लेह हवाई अड्डे पर भी मौसम का असर देखने को मिला, जहाँ कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं और यात्री फंसे रहे। दिल्ली हवाई अड्डे ने यात्रियों से एयरलाइंस से संपर्क कर उड़ानों की स्थिति की पुष्टि करने की अपील की है।

उत्तर रेलवे ने भी हालात को देखते हुए जम्मू और कटरा स्टेशनों पर आने-जाने वाली 22 ट्रेनों को रद्द कर दिया है। कई अन्य ट्रेनों को बीच रास्ते में ही रोकना पड़ा। हिमाचल प्रदेश में चक्की नदी के पास मिट्टी धंसने और अचानक बाढ़ आने के बाद पठानकोट-कंदरोरी रेल सेवाएँ भी बंद कर दी गई हैं। हालांकि कटरा-श्रीनगर मार्ग पर ट्रेन सेवाएँ फिलहाल जारी हैं।

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि सक्रिय तूफानी प्रणाली पूर्व-उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही है और अगले कुछ दिनों तक पहाड़ी व तलहटी क्षेत्रों में भारी बारिश और गरज-चमक के साथ तूफान का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है।

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