अवैध धार्मिक अतिक्रमण को लेकर पीएम सीएम को पत्र तुष्टिकरण का हिस्सा: चौहान

 


देहरादून  : भाजपा ने कहा कि कांग्रेस के मन मस्तिष्क मे तुष्टिकरण है और अवैध धार्मिक अतिक्रमण को लेकर उसका सीएम को लिखा पत्र उसी मर्म का हिस्सा है।प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कांग्रेस के पीएम व सीएम को पत्र भेजने के अभियान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसमे कुछ भी गलत नही है और कांग्रेस का वर्ग विशेष के प्रति लगाव और तुष्टिकरण पारंपरिक रूप से रहा है। पूर्व मे घोषित कांग्रेस के सभी राजनीतिक अभियान जमीनी स्तर पर न होने के कारण फ्लॉप साबित हो गए और अपनी पुरानी तुष्टिकरण की नीति पर लौट गयी।

हालांकि उसका यह कदम चौंकाने वाला नही है।उनका पीएम व सीएम को चिट्ठी लिखने का यह नया अभियान पहले से ही समानांतर चलाए जा रहे तथाकथित आंदोलनों की सूची में एक नया नाम शामिल होने से अधिक कुछ नहीं है । क्योंकि जिन संवैधानिक मुद्दों को वे पीएम को लिखे पत्र में उठा रहे हैं उसका जवाब तो स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने 14 पार्टियों की सयुंक्त याचिका को निरस्त कर पहले ही दे दिया है और जहां तक सीएम को पत्र लिखने का तो उनमें से सभी विषयों पर प्रदेश की जनताऔर कई विषयों पर न्यायालय भी सरकार के कदमों पर सहमति प्रकट कर चुका है। कुछ मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं ।

कांग्रेस को विपक्ष धर्म का पालन करते हुए सरकार के अच्छे कार्यों की प्रशंसा एवं सकारात्मक सुझाव के पत्र ही सरकार को भेजने चाहिए ।श्री चौहान ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही एवं इस तरह के अन्य मुद्दों पर कांग्रेस द्वारा मीडिया में पक्ष नहीं रखने की घोषणा को भी उनकी तुष्टिकरण नीति और राजनैतिक नफ़ा नुकसान को देखते हुए रणनीतिका हिस्सा बताया । उन्होंने आरोप लगाया कि सनातनी संस्कृति पर आक्षेप लगाने वाले तमाम मुद्दों को तो कांग्रेस देश विदेश में जोर शोर से उछालती है।

लेकिन प्रदेश में सनातनी संस्कृति एवं कानून के लिए खतरा बने अवैध धार्मिक स्थलों, संस्थाओं एवं व्यक्तियों पर होने वाली कार्यवाही को मीडिया बहस में जायज ठहराने में उन्हें अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक के नाराज होने का खतरा नज़र आ रहा है, इसीलिए उनके नेता बहस से दूरी बना रहे हैं।प्रदेश की जनता मुस्लिम यूनिवर्सिटी, नमाज के लिए छुट्टी जैसे अनेकों तुष्टिकरण के मुद्दों पर उनका दोहराचरित्र पहले ही बखूबी देख चुकी है। जनता अपनी राय धामी सरकार की नीतियों को सराह रही है और सरकार की पारदर्शितापूर्ण नीति के खिलाफ विरोध के सुर अधिक नही टिक पाएंगे।

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