यू-ट्यूब सब्सक्रिप्शन के लिए क्लिक करना था,वर्क फ्रॉम होम का ऑफऱ।महिला को लगा 8 लाख का चूना

 


कोरोनाकाल के बाद से जब 'वर्क फ्रॉम होम' का कल्चर बढ़ा तो इंटरनेट यूज करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में भी इजाफा हुआ।इसी बढ़ते इंटरनेट के प्रयोग को हथियार बनाया साइबर क्राइम करने वाले ठगों ने। देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से लगभग हर दिन लोगों को साइबर ठगी के जरिए चपत लग रही है।ताजा मामला गुरुग्राम से आया है। यहां कर्नाटक की रहने वाली एक महिला से घर से काम करने के नाम पर कथित तौर पर आठ लाख रुपये से अधिक की ठगी की गई है। यहां ठगों ने यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कराने के नाम पर ठगी की। इस संबंध में महिला द्वारा गुरुग्राम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। कर्नाटक की मूल निवासी सरिता एस। गुरुग्राम के सेक्टर 43 इलाके में रहती हैं।

सरिता ने इस संबंध में दर्ज कराई अपनी शिकायत में बताया कि उन्हें वाट्सएप पर एक मैसेज आया था जिसमें वर्क फ्रॉम के जरिए पैसा कमाने की बात कही गई थी। इस मैसेज में लिखा था कि उन्हें शुरुआत में केवल एक YouTube चैनल की सदस्यता लेनी होगी जिसके लिए प्रति सब्सक्रिप्शन 50 रुपये देने होंगे। भेजने वाले ने खुद को 'ऐडनेट ग्लोबल मार्केटिंग कंपनी' का असिस्टेंट मैनेजर (HR) युसफत बताया,महिला ने शिकायत में कहा, 'मैंने दो चैनलों की सदस्यता ली जिसके बाद मुझे लैला नाम की रिसेप्शनिस्ट का कॉल आया, जिसने मुझे अपनी टेलीग्राम आईडी साझा करने के लिए कहा। जब मैंने लैला को टेलीग्राम पर संदेश भेजा, तो उसने कुछ अन्य चैनलों की सदस्यता ली और 150 रुपये का भुगतान किया।

फिर मुझे एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा गया जिसके 180 सदस्य हैं। ये सभी लोग कुछ टास्क कर रहे थे।लैला ने सरिता से कहा कि यदि वह दिए गए कार्य पूरे करती हैं तो उसे प्रॉफिट मिलेगा। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन कार्यों के माध्यम से उसके साथ 8।20 लाख रुपये की ठगी की गई और उसे कोई प्रॉफिट नहीं हुआ। बुधवार को मानेसर पुलिस स्टेशन के साइबर क्राइम में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419 (गलत पहचान बताकर धोखाधड़ी) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए अपनी जांच शुरू कर दी है।

जिस तरह से लोगों के साथ साइबर ठगी हो रही है, उसमें कई बार फोन या सिस्टम हैक कर बैंक अकाउंट खाली कर लिया जा रहा है। फिशिंग, हैकिंग का सबसे पॉपुलर और कॉमन तरीक़ा है। इसके ज़रिए भी डेटा लीक होते हैं। क्योंकि फ़िशिंग के ज़रिए साइबर क्रिमिनल्स ना सिर्फ़ इंडिविजुअल को टार्गेट करते हैं, बल्कि कंपनियों को भी निशाना बनाया जाता है। कई बार कंपनियों की साइबर सिक्योरिटी टीम मज़बूत ना होने की वजह से फ़िशिंग करने वाले सफल हो जाते हैं। ऐसे में उस कंपनी के यूज़र्स का डेटा चोरी कर लिया जाता है।

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