अजब-गजब: नासा के लिए बना रहस्य, इस जगह पर अपने आप खिसकते हैं पत्थर

 


दुनिया में कई बेहद रहस्यमयी जगहे हैं। इनमें कई बेहद खूबसूरत हैं जो लोगों के मन को मोह लेती हैं। हालांकि कुछ जगहे खतरनाक भी हैं। इन जगहों पर जाने में लोग खौफ खाते हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक ऐसी ही जगह जिसे दुनिया में सबसे गर्म माना जाता है। यहां का तापमान इतना अधिक है कि किसी की चमड़ी जल सकती है। आज हम आपको अमेरिकी के डेथ वैली के बारे में बताते हैं। 

इस रहस्यमयी जगह पर भारी भरकम पत्थर अपने आप सैकड़ों फीट तक खिसककर चल जाते हैं। आखिर यह पत्थर कैसे खिसकते हैं? इसके बारे में कई रिसर्च इस जगह पर की गईं, लेकिन आज तक इसके रहस्य से पर्दा नहीं उठाया जा सका है। इसकी वजह से देश-विदेश से कई पर्यटक इस स्थान को देखने के लिए आते हैं। कैलिफोर्निया के दक्षिण पूर्व में स्थित नेवादा राज्य के पास यह स्थान स्थित है जो 225 किलोमीटर में फैला है। 

अभी तक इन पत्थरों को किसी ने भी चलते नहीं देखा है। यह पत्थर खिसकने के बाद एक लंबी रेखा अपने पीछे छोड़ देते हैं। रेखाओं के निशानों से इन पत्थरों के खिसकने के बारे में जानकारी मिलती है। इस डेथ वैली को मौत की घाटी के नाम से भी जाना जाता है। 

वैज्ञानिकों ने पत्थरों को खिसकने को लेकर अलग अलग थ्योरीज दी हैं। इस रहस्य को जानने के लिए वैज्ञानिकों का एक दल साल 1972 में इस जगह पर गया था। उन्होंने इन पत्थरों के ऊपर करीब 7 साल तक रिसर्च किया। वैज्ञानिकों ने इस दौरान 317 किलोग्राम के एक पत्थर पर खासतौर पर रिसर्च किया। हालांकि इस रिसर्च के दौरान वह पत्थर अपनी जगह से जरा भी नहीं हिला। 


कुछ लोगों का मानना है कि पारलौकिक शक्तियां इन पत्थरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर खिसकाती हैं। स्पेन की कम्प्लूटेंस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के मुताबिक, ऐसा यहां की मिट्टी में मौजूद माइक्रोब्स की वजह से होता है। माइक्रोब्स की वजह से मिट्टी चिकनी बन जाती है। इसकी वजह से पत्थर मिट्टी पर खिसकते हैं। हालांकि पत्थर के रहस्यमयी ढंग से खिसकने की वजह का कोई ठोस निष्कर्ष अभी तक नहीं निकल पाया है।  
कुछ सालों के बाद वैज्ञानिक एक बार फिर उस पत्थर के बारे में जानने के लिए वापस वहां पर पहुंचे, तो वह करीब 1 किलोमीटर की दूरी मिला। इसे देखने के बाद कई वैज्ञानिक हैरत में पड़ गए थे। दूसरे कई वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पत्थर तेज हवाओं की वजह से खिसकते हैं। हालांकि शोधकर्ता इन पत्थरों के खिसकने की वजह को लेकर सहमत नहीं हैं।

Sources: Amar Ujala

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