कोरोना को लेकर बेफिक्री नहीं है ठीक,अभी भी सजगता की जरूरत, लापरवाही पड़ सकती है भारी

 

 



देहरादून / उत्तराखण्ड में भले ही कोरोना मामलों में कमी आई है लेकिन बिल्कुल बेफिक्र होने की जरूरत नहीं है। हमारी थोड़ी सी भी लापरवाही भी हमारे लिए खतरा बन सकती है। त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है और कोरोना के नए मरीज आने का क्रम अभी थमा नहीं हैं। पिछले अड़तालीस घंटों के दरिम्यान चालीस से ज्यादा नए मामले सामने आ चुके हैं। यह नहीं भूलना होगा कि  इन स्थितियों में जबकि विशेषज्ञ अक्टूबर से दिसंबर के मध्य कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को खारिज नहीं कर रहे हैं। पिछले साल त्योहारी सीजन में कोरोना ने रफ्तार पकड़ी थी। तब स्थिति इतनी भयावह हो गई थी कि आमजन बीमारी का नाम सुनकर ही सहम जा रहा था। इस साल की पहली तिमाही के आखिर में आई दूसरी लहर ने तो सभी के होश उड़ा दिए थे। मरीज और तीमारदारों को क्या-क्या दिक्कतें ङोलनी पड़ी, यह किसी से छिपा नहीं हैं।अब फिर से ऐसी नौबत नहीं आने पाए, इसके लिए त्योहारी सीजन में बेहद सावधानी के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। बाजारों में भीड़ बढ़ने लगी है। स्कूल-कालेजों में आफलाइन कक्षाएं संचालित होने लगी है, पर्यटन की राह खुल चुकी है। इसमें कोई बुराई नहीं, वैसे भी बंदी किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। यद्यपि, राज्य में कोविड वैक्सीनेशन की तस्वीर काफी हद तक सुकून दे रही है, मगर इसका अर्थ यह नहीं कि त्योहारी उल्लास में हम कोरोना के बुनियादी नियमों को भूल जाएं। इस अवधि में बड़ी संख्या में विभिन्न राज्यों से प्रवासी भी अपने घर आएंगे। इनमें ऐसे राज्यों के लोग भी शामिल होंगे, जहां कोरोना संक्रमण अब भी चुनौती बना हुआ है। सरकार ने बाहरी राज्यों से आने वालों के लिए 72 घंटे पुरानी आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट साथ लाने की अनिवार्यता रखी हुई है, पर इसका शत-प्रतिशत अनुपालन नहीं हो रहा है। इस बीच, चारधाम यात्र सभी के लिए खोल दी है।कोरोना के आंकड़े संख्या के लिहाज से अभी कम जरूर हैं, लेकिन चारों तरफ बेफिक्री का जो आलम दिख रहा है उसमें चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। ऐसे में कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने और कराने को लेकर हिचक तोड़ने की जरूरत है। राज्य की सीमाओं के साथ ही सभी जिलों में कोरोना टेस्टिंग बढ़ाई जानी चाहिए। कोरोना के साथ-साथ डेंगू की चुनौती पर सिर पर खड़ी है। यह दीगर बात है कि हालात अभी काबू में हैं, पर जरा सी असावधानी बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है। लिहाजा, इन स्थितियों से निबटने के लिए अकेले सरकार के भरोसे नहीं रहना चाहिए। खुद के साथ ही दूसरों को कैसे सुरक्षित रखें, इसकी चिंता हम सभी को मिलकर करनी होगी।

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