फर्ज की मिसाल हैं बेमिसाल आई.पी.एस नीरू गर्ग

 

 



तेज़ तर्रार आई.पी.एस नीरू गर्ग............




एक मां से लेकर एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी तक का सफर हमें गर्व है आप पर.......



हमारा देश पुरूष प्रधान देश कहलाता है जिसमें महिलाओं को वो सम्मान नहीं मिल पाता था जिसकी वो हक़दार थीं इसके लिए समाज के पुरूष ही जिम्मेदार रहे है। लेकिन जैसे-जैसे देश तरक्की करता गया वैसे-वैसे बदलाव नज़र आने लगा है। समय के साथ समाज में भी तेजी के साथ बदलाव नज़र आने लगा है, अब महिलाऐं भी हर कार्य क्षेत्र में अपना दम-खम दिखा रही है। पृथ्वी से लेकर नभ तक आज महिला शक्ति का दबदबा है। हमारे देवभूमि में भी महिलाओं ने अपनी मिसाल कायम करी है जिसकी बहुत सारी मिसाले हैं,ऐसी मिसालों की कड़ी में एक नाम आता है नीरू गर्ग का, नीरू गर्ग किसी परिचय की मोहताज़ नहीं हैं, उनका नाम उत्तराखण्ड पुलिस में अपने फर्ज़ और फैसले लेने के लिए एक तेज तर्रार महिला पुलिस अधिकारीयों में शुमार होता है। सन 2005 बैच की आईपीएस नीरू गर्ग देहरादून की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भी रह चुकी हैं। नीरू गर्ग जी घर में जहां वह एक आदर्श, कुशल ओर ममता की प्रतिमूर्ति के रूप में एक मां है तो वहीं अपने कार्यक्षेत्र में एक दृढ़ संकल्प अधिकारी भी हैं। उनके एस.एस.पी के कार्यकाल में किये गये कार्य से उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में अपराधों पर भी अंकुश लगा था। वर्तमान में नीरू गर्ग गढ़वाल रेंज की 30 वीं डीआईजी हैं लेकिन उन्होंने उत्तराखण्ड में पहली महिला डी.आई.जी का पद सुशोभित करने का गौरव हासिल किया हैं। यूं तो उनके बारे में जितना कहा जाये वो कम हैं खासतौर से उनके कार्यक्षेत्र के बारे में लेकिन उनका एक संस्मरण ए.वी.पी के सौजन्य से साझा कर रहा हूं। बात उन दिनों की है जब चमोली जनपद में आपदा आई थी,आपको बता दें कि चमोली जिला गढ़वाल परिक्षेत्र के अन्र्तगत आता है, जैसे ही उनको चमोली आपदा की खबर मिली उस वक्त आप अपनी नौ वर्षीय बेटी के साथ थीं, लेकिन उन्होंने अपनी उस मासूम बच्ची को हरिद्वार अपनी मां के पास छोड़कर फौरन देहरादून से जोशीमठ पहुंच गईं फिर वहां से तपोवन, रैणी गांव फिर देर शाम जोशीमठ पहुंच गईं। उन्होंने उस दौरान जो शब्द कहे थे  एक ममता से ब्छिड़ने का दर्द बयां कर रहे थे। उन कहे गये शब्दों में एक मां की ममता का दर्द साफ झलक रहा था, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘‘कि मैं अपनी बेटी को बहुत मिस कर रही हूं लेकिन कुदरत की इस मार से बदहवास  लोंगों को हिम्मत और राहत देना मेरी डयूटी का हिस्सा है।’’ मैं एक मां भी हूं इसलिए मां का दर्द समझती हूं लेकिन मैं एक अधिकारी भी हूं इसलिए अपने र्कर्तव्योंको भीनहीं भूल सकतीं। आपकी इस कर्तव्यनिष्ठा,कर्तव्यपरायणता और फर्ज के प्रति सर्मपित ऐसी पुलिस अधिकारी को हमारा सैल्यूट।  

 

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