कोविड कर्फ्यू में मित्र पुलिस बनी देवदूत

 


 
सलीम रज़ा


यूं तो खाकी की छवि ही लोगों में खौफ पैदा कर देने वाली बन गई है लेकिन उत्तराखण्ड की मित्र पुलिस की छवि इस खौफ से बिल्कुल उलट है। उत्तराखण्ड मित्र पुलिस का स्लोगन मित्रता,सेवा,सुरक्षा देने का संकल्प जमीनी सतह पर देखने को मिला है, चाहें प्रदेश में आई दैवीय आपदा हो, चाहें बीते साल का लाकडाऊन हो चाहें यातायात का दबाव हो या फिर धार्मिक आयोजन मित्र पुलिस हर मोड़ पर सेवा भाव से मुस्तैद नजर आई है। अभी हाल में ही संपन्न हुये महाकुंभ के दौरान भी मित्र पुलिस के किये गये  सराहनीय कार्य को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता है, जिस तन्मयता और सेवा भाव से मित्र पुलिस ने अपनी डयूटी को अंजाम दिया उससे पूरे देश में एक अच्छा संदेश गया है। लिहाजा मैं यह कह सकता हूं कि उत्तराखण्ड मित्र पुलिस एक अच्छी और स्वस्थ पुलिसिंग के लिए लोगों के दिलों में अपना घर बना चुकी है। मैं इस कोविड कफ्र्यू में कवरेज करता हूं और रोज ही आना-जाना होता है अक्सर देखता हूं कि कड़ी धूप में भी मित्र पुलिस के जवान अपनी डयूटी को मुस्तैदी के साथ अंजाम देते है,ं हां उन लोंगों पर सख्त हैं जो वेवजह वगैर किसी काम के सड़कों पर घूमते है,ं यदि मित्र पुलिस उनके खिलाफ सख्त कदम उठाती है तो इसमें कोई भी बुराई नहीं हैं क्योंकि ये कदम हमारी और आपकी बेहतरी के लिए उठाया गया कदम है, अन्यथा मैं देखता हूं कि किसी भी जगह पर मित्र पुलिस के जवान अनावश्यक रूप से किसी को परेशान करते नज़र नहीं आये वल्कि इस कोविड कफर््यू में उन जरूरतमंदों के घर तक पहुचकर अपनी सेवायें पदान करीं जिन्होंने परेशानी के समय में मित्र पुलिस को फोन करके अपनी मजबूरी बताई। ऐसे वक्त में मित्र पुलिस किसी देवदूत से कम नहीं हैं। हमारे उत्तराखण्ड के लोकप्रिय पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार जी की वहुचर्चित पुस्तक ‘खाकी में इंसान’ ने पूरी उत्तराखण्ड मित्र पुलिस को मोटिवेट तो किया ही है वल्कि बेहतर पुलिसिंग का पाठ भी पढ़या है जो प्रशंसनीय है। आई सेल्यूट माई मित्र पुलिस।

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