सेलाकुई स्थित डिक्सन फैक्ट्री से छुड़ाई गईं नाबालिकायें- कहीं मानव तस्करी से तो नहीं जुड़े हैं तार, जांच में जुटी देहरादून की पुलिस

 

 देहरादून /  सेलाकुई में डिक्सन फैक्ट्री से छुड़ाई गई 94 बालिकाओं के मामले में पुलिस मानव तस्करी के लिहाज से भी जांच कर रही है। जिस तरह से नाबालिग बालिकाओं के फर्जी आधार कार्ड बनाकर उनसे बालश्रम करवाया जा रहा था, उससे मानव तस्करी का मामला भी सामने आ सकता है। पूछताछ करने में बालिकाएं अपने घर का पता तक नहीं बता पाई हैं। वहीं उनको मिलने वाला वेतन किस खाते में जाता था, इसका भी पता नहीं है। 

दूसरी ओर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी इस मामले में पूछताछ कर रहा है, ऐसे में मानवाधिकार आयोग भी जल्द मामले में कार्रवाई कर सकता है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव व सिविल जज सीनियर डिवीजन नेहा कुशवाहा से संपर्क किया है। सचिव नेहा कुशवाहा ने बताया कि जिस तरह से मामला सामने आया है, उससे मानव तस्करी के संकेत भी मिल रहे हैं। क्योंकि बालिकाएं अपने घर का पता नहीं बता पा रही हैं। सेलाकुई की फैक्ट्री में 94 बालिकाओं से बालश्रम करवाने के मामले में पुलिस कंपनी के प्रबंधक सहित ठेकेदार रंजीत, प्रीतम, सिंघानिया, रेहान, संदीप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चुकी है। बता दें कि 25 नवंबर को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव नेहा कुशवाहा ने कंपनी का औचक निरीक्षण किया था, जहां कुल बालिकाएं काम करती नजर आईं जबकि कुछ बालिकाओं को कैंटीन में छुपाया हुआ था। जब जांच शुरू हुई तो पता लगा कि सबके पास एक ही पते व उम्र के आधार कार्ड है। जिससे पता लगा कि सबके आधार कार्ड फर्जी बने हुए हैं

Sources:JNN

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