बिहार में डबल इंजन की सरकार को 2 महीने भी नहीं हुए लेकिन बिगड़ने लगे सुर और ताल !

 

बिहार में भले ही विधानसभा के चुनाव खत्म हो गए हैं और नई सरकार बन भी गई है लेकिन राजनीतिक सरगर्मियां लगातार तेज है। भाजपा और जदयू की सरकार को लगभग 2 महीने होने को आए लेकिन रिश्तो में टकराव की खबरें लगातार सामने आ रही है। दोनों दलों के प्रवक्ताओं की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि गठबंधन अटूट है लेकिन अरुणाचल प्रदेश की घटनाक्रम को लेकर नीतीश कुमार भाजपा से काफी नाराज है। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ उसी दिन से यह दावा लगातार कर रहे थे कि बिहार में सरकार रही भी तो राजनीतिक सरगर्मियां तेज रहेंगी क्योंकि अब भाजपा बड़े भाई की भूमिका में है। वर्तमान में यही देखने को भी मिल रहा है। डबल इंजन की सरकार बने 2 महीने नहीं हुए की इसकी सुर, ताल और गति सब बदल गई। बिहार से लेकर दिल्ली तक के गलियारे में राजनीतिक अटकलबाजियां तेज हो गई हैं।

जदयू की कार्यकारिणी की बैठक से एक खबर सामने निकल कर आई और वह यह थी कि नीतीश कुमार ने एक बार फिर से दोहराया कि वह मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे। लेकिन भाजपा के ही निवेदन पर उन्होंने मुख्यमंत्री पद स्वीकार किया। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार गठबंधन का दबाव महसूस कर रहे हैं? रविवार को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में पार्टी महासचिव एवं प्रवक्ता केसी त्यागी ने उनकी पार्टी के पास भाजपा से कम विधायक होने के बावजूद मुख्यमंत्री (कुमार) के अपने पद बने रहने के बार बार चर्चा होने का लेकर नाखुशी प्रकट की थी। त्यागी ने इस बात पर बल दिया था कि कुमार ने तो शुरू में ही राय व्यक्त कर दी थी कि अधिक संख्याबल के आधार पर भाजपा को अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। कार्यकारिणी की इसी बैठक में कुमार ने जदयू अध्यक्ष पद छोड़ दिया। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 74 सीटें जीती थी जबकि उससे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने वाले जदयू को 43 सीटें ही मिल पायी।

अब इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि क्या नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे? क्या भाजपा सरकार बनाएगी? क्या भाजपा का अगला मुख्यमंत्री होगा? फिलहाल भाजपा की ओर से इन सब बातों पर विराम लगा दिया गया है। भाजपा नीतीश की नाराजगी को समझते हुए इस विवाद को कहीं ना कहीं खत्म करना चाहती है। तभी तो कभी नीतीश कुमार के लक्ष्मण कहे जाने वाले सुशील मोदी ने खुलकर उनका समर्थन किया है। वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को कहा कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के पद बने रहने को लेकर अनिच्छुक थे और वह तब जाकर राजी हुए जब उन्हें याद दिलाया गया कि राजग ने उनके नाम पर वोट मांगे थे। कुमार के पिछले कार्यकालों में एक दशक से अधिक समय तक उपमुख्यमंत्री रहे मोदी ने एक दिन पहले जनता दल यूनाइटेड (जदयू) द्वारा दिये गये बयान के संबंध में पूछे जाने पर यह टिप्पणी की। कुमार और मोदी के बीच बहुत अच्छे समीकरण होने की चर्चा होती रही है।

मोदी ने कहा कि यह सच है कि नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने की अनिच्छा प्रकट की थी और कहा था कि भाजपा को इस शीर्ष पद पर दावा करना चाहिए। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जब राज्य में राजग के घटक दलों--भाजपा, हम, वीआईपी ने उनसे पद पर बने रहने का अनुरोध किया और उन्हें याद दिलाया कि वोट उनके नाम पर मांगे गये थे, तब ही वह इस पद पर बने रहने के लिए राजी हुए। वर्तमान समय में भाजपा कोटे से बिहार में उप मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाल रही रेणु देवी ने भी भाजपा-जदयू गठबंधन को अटूट बताया है और कहा है कि अरुणाचल की घटनाक्रम को लेकर बिहार में कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अरुणाचल में जदयू के विधायक हमसे जुड़ना चाहते थे और हमने उन्हें नहीं बुलाया। इस बीच राजद ने अब नीतीश कुमार को साधने की कोशिश शुरू कर दी है। राजद की ओर से कहा गया है कि फिलहाल नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बनाएं। राजद नीतीश को 2024 में प्रधानमंत्री बनाने में मदद करेगी। अभी देखना होगा आगे-आगे बिहार की राजनीति में होता क्या है? लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यहां की राजनीति बड़ी दिलचस्प होती जा रही है।

 

Sources:Agncy News

 

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