गजब: अपने विधायक ने खोला भ्रष्टाचार, तो लटकी निलंबन की तलवार


 जीरो टॉलरेंस की सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। उल्टा अपने ही विधायक के खिलाफ अनुशासनहीनता के मामले में कार्यवाही करने की तैयारी कर दी है। सरकार इस बात को लेकर असहज है कि, पूरन फर्त्याल ने पिछले दिनों विधानसभा सत्र में कार्य स्थगन की सूचना देकर इस भ्रष्टाचार पर चर्चा कराने की मांग की थी। हालांकि सदन ने उनकी मांग ठुकरा दी लेकिन इससे सरकार असहज हो गई।


फर्त्याल के खिलाफ कार्यवाही करने से कुछ सवाल खड़े होते हैं।


पहला सवाल यह है कि, सदन में जनप्रतिनिधि कुछ भी बोलने के लिए स्वतंत्र होता है। एक्ट में यह व्यवस्था है कि सदन में उनके द्वारा बोले गए वक्तव्य को लेकर उनके खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही नहीं हो सकती। फिर भला सदन में उनके वक्तव्य को लेकर भाजपा संगठन उनके खिलाफ कार्यवाही कैसे कर सकता है !


दूसरा सवाल यह है कि, यदि सदन के बाहर बोले गए वक्तव्य को लेकर कार्यवाही करने का आधार निकाला जाता है तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत उन्हें पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी कर चुके हैं और फर्त्याल देरी से ही सही लेकिन उसका जवाब दे चुके हैं तो फिर दोबारा इस पर कार्यवाही कैसे की जा सकती है !


तीसरा सवाल यह है कि, पूरन फर्त्याल ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ कोई वक्तव्य नहीं दिया। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही ना होने पर लोक निर्माण विभाग के मंत्रालय और शासन पर सवाल उठाए हैं। तो भला इस आधार पर भारतीय जनता पार्टी विधायक के खिलाफ कोई एक्शन कैसे ले सकती है !


चौथा सवाल यह है कि, कोई भी पार्टी संगठन सरकार को दिशा निर्देश देने का काम करता है। और संगठन सरकार से भी बड़ा होता है। किंतु इस प्रकरण में ऐसा लगता है कि सरकार के कहने पर संगठन टूल की तरह काम कर रहा है।


क्या भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथ का खिलौना बन चुके हैं !


पांचवा सवाल यह है कि जब पूरन फर्त्याल पिछले 6 महीने से इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं तो भला खुद को जीरो टॉलरेंस की सरकार कहने वाली भाजपा द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती ! जब सरकार और संगठन दोनों टनकपुर जौलजीबी सड़क के टेंडर में हुए घोटाले को दबा जाएंगे तो फिर आंच तो उन तक पहुंचेगी ही।


छठा सवाल यह है कि पूरन फर्त्याल पहले क्षेत्रीय जनता के प्रतिनिधि हैं। सरकार और पार्टी के गुलाम नहीं। डेढ़ साल बाद उन्हें अपनी जनता के दरबार में जाना है। क्या तब सरकार और पार्टी उन्हें बचा लेगी !


सातवां सवाल आखिर इस घोटाले की जांच क्यों नहीं होती ! क्या इसमें सरकार और संगठन के ऊंचे पदाधिकारी शामिल है। बहरहाल टेंडर घोटाले की जांच और कार्यवाही करने के बजाय अपनी ही पार्टी के विधायक के खिलाफ कार्यवाही करने से भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की सरकार का असली चेहरा जनता के सामने आ गया है।


मित्र विपक्ष कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी टेंडर घोटाले की जांच न होने पर आंदोलन की धमकी दी है। यह देखने वाली बात होगी कि उनकी धमकी में कितनी धमक है !


Source :Parvatjan


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