शासन ही नहीं जिलों में भी अफसर बेकाबू, धींगामुश्ती का गढ़ बने राजधानी के अस्पताल


देहरादून / राजधानी देहरादून के गांधी व कॉर्नेशन अस्प्ताल इन दिनों स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की धींगामुश्ती का गढ़ बने हुए हैं। चौंकाने वाली बात ये की सरकार की नाक के नीचे अफसर बेकाबू हैं लेकिन कार्रवाई करना तो दूर इस मामले की सरकार ने अभी तक ठीक से जांच पड़ताल तक शुरू नहीं कि है। यही वजह है कि जिले के स्वास्थ्य विभाग के अफसर पूरी तरह से बेकाबू हो रखें हैं।


विगत दिवस सूबे के नगर विकास मंत्री की एक ख़बर दिन भर सुर्खी बनी रही। दरससल, मंत्रीजी ने सचिवालय में कुम्भ को लेकर विभिन्न विभागों के सचिवों की बैठक बुलाई थी लेकिन बैठक से अधिकतर सचिव गायब मिले। इस पर मंत्रीजी ने खासी नाराजगी जाहिर कईबार बैठक छोडकर चले गए थे। इससे कुछ दिन पहले ही इस तरह की एक घटना उधमसिंहनगर में भी हुई। यहां जिलाधिकारी के अपमान से नाराज विधायक ने बैठक छोड़ दी थी।


कुछ इसी तरह से अफसरों के बेकाबू हिने के मामले देहरादून में भी पेश आये हैं। यहां स्थिति ये है कि अफसर यहां अपना कामकाज छोड़कर दूसरे के घर में तांकाझांकी में ज्यादा मशगूल हैं। हाल ये हैं कि जिले के एक आला स्वास्थ्य अधिकारी को अस्पतालों से इतर जिले की जिम्मेदारी सौंप दी गयी है लेकिन इन साहब का अस्पतालों का मोह कम होने का नाम नहीं ले रहा। गत दिनों इनके खिलाफ बकायदा एक चिकित्सक को मौन आंदोलन को विवश होना पड़ा। फिर भी साहब की बेचैनी अभी खत्म नहीं हुई। बताया गया कि अभी भी अस्पतालों में तांकझांक का काम बदस्तूर जारी रखा है। अब इनका एक दो और कारनामे सामने आए हैं। जिनकी प्रति उस समाचार निम्न दी गयी है।


Source :Agency news 


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