बिग ब्रेकिंग : निशंक की सांसद सीट पर अभी भी खतरा बरकरार,कोर्ट ने की अर्जेन्सी एप्लीकेशन स्वीकार


देहरादून / डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की सांसद सदस्यता एवं केंद्रीय मंत्री पद अभी भी है खतरे में कोर्ट में मनीष वर्मा की अर्जेन्सी एप्लीकेशन (urgency application) स्वीकार द्वितीय सप्ताह की मिली अगली तारीख।


आज नैनीताल हाईकोर्ट में मनीष वर्मा बनाम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हरिद्वार की सुनवाई 11 बजे हुई जिसमें कोर्ट में आज थोड़ी देर बहस के बाद मनीष वर्मा की अर्जेन्सी एप्लीकेशन (urgency application) स्वीकार कर ली गई है।


ज्ञात हो उत्तराखंड उच्च न्यायालय में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के खिलाफ एक याचिका दायर हुई जिसमें उनके सांसद के रूप में निर्वाचन को चुनौती दी गई है। इस याचिका में निशंक पर चुनाव आयोग से शैक्षणिक योग्यता सहित जरूरी जानकारी छिपाने का भी आरोप लगाया गया है। हरिद्वार से उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बागी उम्मीदवार मनीष वर्मा द्वारा याचिका दायर की गई थी


उत्तराखंड उच्च न्यायालय में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के खिलाफ एक याचिका दायर हुई है जिसमें उनके सांसद के रूप में निर्वाचन को चुनौती दी गई है। इस याचिका में निशंक पर चुनाव आयोग से शैक्षणिक योग्यता साथ ही इस याचिका में यह भी लिखा गया है कि राज्य सरकारों द्वारा निशंक को श्रीनगर में प्लाट आवंटित किया गया जो उन्होंने अपने शपथ पत्र में नही लिखा जरूरी जानकारी छिपाने का भी आरोप लगाया गया है।


हरिद्वार से उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बागी उम्मीदवार मनीष वर्मा द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि निशंक का नामांकन पत्र अधूरा है और इसमें महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई है। आरोप लगाया गया है कि निशंक ने हलफनामे में पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में कई सालों तक उठाई गई मुफ्त आवासीय सुविधा के संबंध में भुगतान के लिए बची हुई राशि का खुलासा नहीं किया। इसमें कहा गया कि उनके नामांकन पत्र में उनकी बेटियों के बैंक खातों की जानकारी नहीं दी गई है।


इसी मामले की कल न्यायालय में सुनवाई की जानी है जाहिर सी बात है मनीष वर्मा द्वारा जो आरोप लगाया गया है वह कहीं ना कहीं सत्य साबित होता नजर आ रहा है क्योंकि जिस तरह से निशंक पर अपने हलफनामे में जानकारी छुपाने का आरोप लगाया गया है अगर यह बात सच साबित हो गई तो फिर डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की संसद सदस्यता के साथ-साथ उनका मंत्री पद भी जाना लाजमी है।


क्योंकि अगर हम इतिहास की बात करें तो भारतीय राजनीति के इतिहास में कई मौके ऐसे आए हैं जिन्होंने देश की दशा और दिशा ही बदल दी।


1971 में रायबरेली के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने जीत हासिल की उनकी जीत को उनके प्रतिद्वंद्वी राजनरायण ने चुनौती दी।


भारतीय राजनीति के इतिहास में इस मुक़दमे को इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण के नाम से जाना जाता है। 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया।


बाकी यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा है कि कल फैसला होगा या बहस होगी या कुछ और नतीजे होंगे लेकिन अगर इसमें मनीष वर्मा के पक्ष में मामला सुनाया जाता है तो यह भी इतिहास मैं स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।


यहां एक बात और मैं कहना चाहूंगा वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व राज्य मंत्री जो वरिष्ठ पत्रकार भी हैं चूंकि मनीष वर्मा त्रिवेंन्द्र सिंह के सबसे नजदीक है व भाई जैसे है । उनके विरुद्ध डॉ रमेश पोखरियाल निशंक षड्यंत्र नाकिया होता क्या होता प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस संबंध में वार्ता की होती तो शायद नतीजे आज कुछ और होते।


चूंकि मनीष वर्मा त्रिवेंन्द्र सिंह के सबसे नजदीक है व भाई जैसे है तो ऐसे में निशंक के मुख्यमंत्री को निवेदन कर मनीष वर्मा को कही एडजस्ट करवाकर मामले का पटाक्षेप कर सकते थे।


लेकिन अब झूठे शपथ पत्र पर उनका चुनाव निरस्त होना तय माना जा रहा है। देखना यह भी है कि ऊँट अब किस करवट बैठता है।


आपको बता दे क्योंकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री की सुविधाओं के मामले में फैसला निशंक के खिलाफ दिया है व राज्य सरकार द्वारा किराया माफ करने के जी0ओ को निरस्त कर दिया है जिससे यह स्पष्ट है कि निशंक का निर्वाचन के समय दिया शपथ पत्र झूठा असत्य है।


Source :Agency news 


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