उत्तराखंड: ऊखीमठ पहुंचे केदारनाथ के रावल। 20 अप्रैल को पहुंचेंगे बद्रीनाथ धाम के रावल

 



रुद्रप्रयाग। आखिर केदारनाथ धाम के कपाटोद्घाटन पर केदारनाथ के रावल श्री भीमाशंकर लिगं की उपस्थिति पर बना संसय अब खत्म हो गया। आज केदारनाथ के रावल 1008 जगतगुरु भीमशंकर लिंग जी महाराष्ट्र से शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ पहुंच गये है। बता दें कि, भगवान शंकर के बारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को तय तिथि एंव मुहुर्तानुशार श्रद्धालुओं हेतु खोले जायेगें। परम्परानुशार रावल का डोली प्रस्थान सहित कपाट खुलने की पूजा में रहना आवश्यक है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते केदारनाथ के रावल नांदेड़ महाराष्ट्र में फंसे थे, कुछ दिन पूर्व उनके द्वारा मा० प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर ऊखीमठ पहुंचाने की मांग सरकार से की गयी थी।


लॉकडाउन व कोरोना महामारी से बचाव व नियंत्रण के लिये प्रभावी नियमों के चलते उनका ऊखीमठ पहुंचने मे संशय बना हुआ था, उनके न पहुंचने की स्थिति में सरकार द्वारा पौराणिक पंरपराओं के अनुसार डोली विदाई व पट खोलने के विकल्प भी तलाशे जा रहे थे, लेकिन अब रावल श्री 1008 भीमाशंकर लिगं सड़क मार्ग से शीतकालीन गद्दीस्थल, ऊषामठ (ऊखीमठ) पहुँच गए हैं। फिलहाल उनके पंचकेदार शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुँचने पर भगवान केदारनाथ धाम के कपाटोद्घाटन को लेकर चल रही चर्चाओं पर भी विराम लग गया है।


अब देखना यह है कि, शासन प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी के प्रवधानों के तहत रावल जी को आवश्यक 14 दिन के क्वारंटाइन का अनूपालन कराया जाता है, तो रावल द्वारा कपाटोद्घाटन संबधित सभी प्रकार की पूजाओं में शामिल होना मुंमकिन नहीं हो पायेगा। वहीं उखीमठ पहुँचने पर रावल श्री श्री 1008 जगद्गुरु भीमाशंकर लिंग का कहना है कि, धर्म और मठ की परंपरा की रक्षा के लिए वे अपने पूर्व रावलों और गुरुओं की भांति कभी भी जान की परवाह नही करेंगे। वहीं ऊखीमठ पहुंचने पर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के विधायक मनोज रावत ने भी रावल जी के दर्शन उनके कक्ष के बाहर ही किये। इस कड़ी में विधायक रावत ने बताया कि, रावल के वहां से चलने से पहले उनका स्वास्थ्य परीक्षण हुआ और मठ पंहुचने के बाद भी रावल जी का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है।


वर्तमान में रावल जी और उनके सेवकों का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है। वे ऊखीमठ में भी फिलहाल एकांतवास में ही रहेंगे।विधायक मनोज रावत ने बताया कि, उन्हें रावल जी ने कहा कि, वह दो दिन में 2000 किलोमीटर गाड़ी से चलकर ऊखीमठ पंहुचे हैं। वह केदारनाथ के 324वें रावल हैं। रावल ने विधायक को बताया कि, ”धर्म और मठ की परंपरा की रक्षा के लिए वे अपने पूर्व रावलों/गुरुओं की भांति कभी भी जान की परवाह नहीं करेंगे।” वहीं दूसरी ओर बद्रीनाथ धाम के रावल 20 अप्रैल को यहां पहुंचेंगे। इस क्रम में तीर्थ पुरोहित महापंचायत का कहना है कि, बदरीनाथ धाम के रावल परंपरा के अनुसार वह क्वारंटाइन में ही रहते हैं।


कोरोना टेस्ट के बाद टेस्ट निगेटिव आने पर वह पूजा कर सकते हैं। हालांकि कोरोना को दृष्टिगत रखते हुए प्रावधान यह है कि, राज्य में बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया जाएगा। ऐसे में सवाल यह है कि, क्या दोनों धामों के रावल को भी 14 दिन के क्वारंटीन में रहना होगा या फिर टेस्ट निगेटिव आने के बाद वह पूजा में शामिल होंगे। यह कह पाना फिलहाल मुश्किल है।



 


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