मोब्लिंचिंग में दो साधुओं की हत्या को लेकर धर्मनगरी हरिद्वार में संतो का चढ़ा पारा

 



 

महाराष्ट्र के पालघर जिले में जूना अखाड़ा के दो संतों की बेरहमी से हत्या हुई। बताया जा रहा है कि श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के संत सुशील गिरी अपने ड्राइवर निलेश तेलगडे के संग कार से अपने गुरु श्रीमहंत रामगिरी की अचानक हुई मौत के कारण उनके अंतिम संस्कार के लिए मुंबई से गुजरात के लिए जा रहे थे। महाराष्ट्र के पालघर जिले में लॉक डाउन होने के बावजूद भी वहां पर कुछ उपस्थित लोगों ने संतो की कार को पलट दिया और उन पर पथराव किया। लगभग रात्रि 11:00 बजे वन विभाग के कर्मचारी ने थाना कासा को घटना की जानकारी दे दी। पुलिस ने वहां पहुंचकर संतों और ड्राइवर को अपनी कस्टडी में लेकर जीप में बैठा लिया। परंतु उन लोगो ने पुलिस की मौजूदगी में तीनों को लाठी-डंडों और चाकू से बेरहमी से पीट-पीटकर उनकी हत्या कर डाली और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। जबकि यह तीनों पुलिस कस्टडी में थे । लॉकडाउन में इतनी भीड़ जुटनी पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करता है। पुलिस की मौजूदगी में दो साधु सहित 3 लोगों की हत्या हो जाना यह दर्शाता है की पालघर जैसे इलाकों में पुलिस का खौफ कहीं दूर दूर तक नहीं है। यदि उस क्षेत्र के पुलिस तमाशबीन बनकर मृतक बचाने के लिए थोड़ा भी प्रयास करती तो शायद यह घटना होने से रोकी जा सकती थी मॉब्लिंचिंग में हुई 2 साधू सहित तीन की हत्या मैं सिर्फ वह भी दोषी नहीं है बल्कि मौजूद पुलिसकर्मी वहां अपनी ड्यूटी पर तैनात थे वह भी कहीं ना कहीं इस हत्या में पूर्ण रूप से दोषी हैं भले ही प्रशासन अब जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ रहा हो लेकिन इस तरह की घटना ने एक बार फिर से देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि देश में कानून के रख वालों के सामने ही कानून की धज्जियां किस तरह उड़ाई जाती है इन तीनों के बचाव के लिए हवाई फायरिंग नहीं की।ऐसे में पुलिस की कार्यशैली पर भी कहीं ना कहीं सवाल उठता है और यदि कोई भी पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते हैं उनके खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ।


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