1500 बसों के पहियों पर लगा 'कोरोना ब्रेक', भुखमरी की कगार पर चालक-परिचालक




 











 




कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए घोषित लॉकडाउन ने चारधाम यात्रा मार्ग पर चलने वाले 15 सौ बसों के पहिये रोक दिए हैं. जिसका सीधा असर बस मालिक, चालक व परिचालकों पर पड़ा है.




ऋषिकेश: 26 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होनी है, लेकिन कोराना का असर उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर पड़ने की संभावना है. क्योंकि कोराना वायरस को देखते हुए सरकार का प्रयास रहेगा कि चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में भीड़ न जुटे. इसे देखते हुए चारधाम के कपाट खुलने पर उन्हें सिर्फ पूजा तक सीमित किया जा सकता है. हालांकि इसके संकेत चारधाम यात्रा से जुड़े लोगों ने दे दिए हैं. इस बार नरेन्द्रनगर महल में गाडू घड़ी की रस्म भी सादगी से की जा रही है.

चारधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ की यात्रा हर साल गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ शुरू होती है. इस साल गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट 26 अप्रैल को खुलने हैं. यानी, इसी दिन से यात्रा की शुरुआत होगी. लेकिन मौजूदा दौर में कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर पनपी परिस्थितियों को देखते हुए यात्रा को लेकर बड़ी चुनौती सरकार के सामने है.






 





 







भुखमरी की कगार पर चालक-परिचालक



वजह यह है कि वर्तमान में सरकार की शीर्ष प्राथमिकता कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम है. पूरा अमला इसमें जुटा हुआ है. इसी के दृष्टिगत 30 अप्रैल तक लॉकडाउन घोषित है. जबकि 31 मई तक सोशल डिस्टेंसिंग की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई है. इससे साफ है कि इस बार चारधाम यात्रा पर इसका सीधा असर पड़ने वाला ह यही कारण है कि चारधाम यात्रा से जुड़े व्यापारी परेशान हैं. संयुक्त रोटेशन यातायात समिति भी इससे अछूती नहीं है. यात्रियों को उनके धार्मिक स्थान चारधाम पहुंचाने में सबसे बड़ा योगदान संयुक्त रोटेशन यातायात समिति का रहा है. संयुक्त रोटेशन के पास चारधाम यात्रा के लिए 15 सौ बसों का इंतजाम रहता है.


चारधाम यात्रा व्यवस्था समिति संयुक्त रोटेशन के अध्यक्ष सुधीर राय ने कहा कि उन्होंने सरकार से मांग की है कि चारधाम यात्रा से जुड़े व्यापारियों और चालक-परिचालकों की मदद करें, क्योंकि इसी व्यवसाय से उनके परिवार का भरण पोषण होता है.



 











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