महागठबंधन में सी.एम के चेहरे पर घमासान, शरद यादव का नाम सबसे आगे

 



 पटना/ विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक हलचल तेज है। दोनों ही गठबंधन अपने-अपने तरीके से रणनीति बनाने में जुट गये हैं। एक ओर जहां एनडीए ने पहले ही नीतीश कुमार की अगुवाई में विधानसभा चुनाव में उतरने का एलान कर दिया है वहीं सी.एम के चेहरे को लेकर महागठबंधन में संग्राम होने की आशंकाएं तेज हो गई हैं। दरअसल कांग्रेस की तरफ से एक ऐसा बयान आया है जिसके कारण आरजेडी और उसके बीच दरार पैदा हो सकती है। कांग्रेस ने साफ कहा है कि महागठबंधन का सीएम चेहरा सोनिया गांधी तय करेंगी। पार्टी के एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा कि आलाकमान ही महागठबंधन के चेहरे पर फैसला लेगा और निर्णय सोनिया गांधी जल्दी सुनाएंगी। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सह बिहार प्रभारी वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने भी यही कहा जो प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा। हालांकि राठौर ने इस बात का भी इशारा किया कि बिहार में महागठबंधन मजबूत स्थिति में है। आरजेडी के लिए परिस्थितियां मुश्किल होती जा रही हैं। लालू की अनुपस्थिति में पहले ही वह खुद को कमजोर महसूस कर रही हैं। बिहार में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भी उसे अपने गठबंधन की सहयोगियों की बात सुननी पड़ती है। पहले ही पूर्व सीएम जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी ने शरद पवार के नेतृत्व में महागठबंधन के चुनाव में उतरने का समर्थन किया है। अब कांग्रेस के इस बयान ने पेंच और फंसा दिया है। हालांकि आरजेडी यह बार-बार साफ तौर पर कह रही है कि वह तेजस्वी यादव के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि तेजस्वी यादव को पहले ही चेहरे के तौर पर पेश किया जा चुका है और खुद गांधी मैदान में राहुल गांधी ने भी इसकी घोषणा की थी। महागठबंधन भले ही कहने के लिए एक है पर सबकी चाहतें बहुत बड़ी हैं। जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने की लगातार मांग कर रहे हैं। हाल में ही ये तीनों दिल्ली में शरद यादव के घर पर एक मीटिंग में शामिल हुए थे। खास बात यह रही थी कि इस मीटिंग में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी शामिल हुए थे। यह वही प्रशांत किशोर हैं जिन्होंने 2015 में महागठबंधन को बिहार में सता दिलवाई थी। मांझी, सहनी और कुशवाहा ने कांग्रेस के इस ऐलान पर सुर में सुर जरूर मिला दिया है। उन्हें लगता है कि कांग्रेस भी शरद यादव के नाम पर सहमति जता सकती है। लेकिन आरजेडी किसी भी हाल में तेजस्वी यादव के चेहरे के अलावा किसी अन्य चेहरा को मंजूर नहीं करेगी। गठबंधन में ज्यादा मनमुटाव होने पर राबड़ी देवी एक बार फिर से मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर सामने आ सकती है। उनके नाम पर गठबंधन से किसी भी दल को ऐतराज नहीं होगा। स्वयं सोनिया गांधी भी उनके नाम पर हामी भर सकती हैं। उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी तेजस्वी यादव को राजनीति में नौसिखिया मानते हैं। लोकसभा चुनाव के बाद महागठबंधन के प्रदर्शन पर घमासान मचा था और इन तीनों ने इसके लिए तेजस्वी यादव को जिम्मेदार ठहराया था। भले ही चुनाव में अभी भी 6 से 8 महीने का वक्त है लेकिन सियासत की इस लड़ाई में बयानबाजी तेज हो गई है। छक्। में जहां सीट बंटवारे को लेकर सहयोगी दल एक दूसरे पर प्रेशर बना रहे हैं, वहीं महागठबंधन में चेहरे पर सियासत मची है। ऐसे में सभी की निगाहें केंद्रीय नेतृत्व पर हैं। एनडीए जहां भाजपा के सर्वेसर्वा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तरफ देख रहा है वहीं महागठबंधन में सभी की निगाहें सोनिया गांधी के ऐलान पर टिकी हैं। 


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