धर्मनगरी बनी सियासत का अखाड़ा, स्वामी यतीश्वरानंद और मदन कौशिक के बीच छिड़ी जंग

 



देहरादून/ यूं तो हरिद्वार की पहचान दुनिया भर में धर्मनगरी की है, लेकिन सूबे में सत्तासीन भाजपा के लिए यह अंदरूनी सियासत का अखाड़ा बन गई है। इससे भाजपा की अनुशासित पार्टी की छवि पर भी असर पड़ रहा है। एक-डेढ़ साल से यह सिलसिला जारी है। सियासी घमासान का अखाड़ा वही है, बस किरदार बदल जा रहे हैं। पहले खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल का विवाद मर्यादाओं की हद पार करते हुए कोर्ट तक पहुंचा। बीच बचाव के प्रयास हुए मगर चैंपियन को अपने बड़बोलेपन का खामियाजा पार्टी से निष्कासन के रूप में उठाना पड़ा। अब ताजा बवाल हरिद्वार ग्रामीण से विधायक स्वामी यतीश्वरानंद और हरिद्वार से विधायक व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के बीच छिड़ा है। विधायक इतने आगे बढ़ गए कि मंत्री पर करोड़ों की संपत्ति खुदबुर्द करने का आरोप लगा सीबीआइ जांच की मांग उठा दी है।मंत्रिमंडल में तीन सीट खाली हैं, लेकिन सलाहकार इसकी कमी महसूस ही नहीं होने दे रहे। वे पूरी शिददत और मुस्तैदी से मोर्चे पर डटे हैं। सरकार में कई विषय विशेषज्ञ मुख्यमंत्री के सलाहकार की भूमिका में हैं। इनमें से दो की तो हाल ही में नियुक्ति हुई है। काबिलेगौर यह कि सलाहकार पूरी गंभीरता से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। विभागीय बैठकों से लेकर जिलों तक के दौरे कर मशीनरी को कसने में तल्लीन हैं। रोजाना जारी हो रहे प्रेस नोट इसकी तस्दीक करते हैं। यह बात दीगर है कि इनके मुकाबले कुछ मंत्रियों की सक्रियता, बैठकें कम दिख रही हैं। अब यह पता नहीं कि इसके पीछे कारण क्या हैं। मंत्री सुस्ता रहे हैं या फिर काम करने के बावजूद काम करते दिख नहीं रहे। इसीलिए सत्ता के गलियारों में चटखारे लिए जा रहे हैं कि ऐसे में भला नए मंत्री बनाने की जरूरत क्या है।


 


टिप्पणियाँ

Popular Post