श्रीलंका: राष्ट्रपति अधिकार (निरसन) विधेयक पारित , पूर्व राष्ट्रपतियों के भत्ते खत्म
श्रीलंका : पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कोलंबो स्थित अपना सरकारी आवास खाली कर दिया। यह कदम संसद द्वारा राष्ट्रपति अधिकार (निरसन) विधेयक को भारी बहुमत से पारित किए जाने के एक दिन बाद उठाया गया। 10 सितंबर को स्वीकृत इस विधेयक के तहत पूर्व राष्ट्रपतियों, उनकी विधवाओं और सेवानिवृत्त सांसदों को मिलने वाले विशेषाधिकार और राज्य द्वारा वित्तपोषित सुविधाओं को समाप्त कर दिया गया है। इसे बिना किसी संशोधन के पारित किया गया, जिसमें 151 सांसदों ने इसके पक्ष में और केवल एक ने इसके विरोध में मतदान किया।
यह कानून पूर्व राष्ट्रपतियों को मिलने वाले भत्ते, सुरक्षा कर्मचारी, सरकारी वाहन और अन्य राज्य सुविधाओं से वंचित कर देता है। यह कदम सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) सरकार के प्रमुख चुनाव-पूर्व वादों में शामिल था। सुप्रीम कोर्ट ने विधेयक को मंज़ूरी दी और राजपक्षे की पार्टी, श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट, द्वारा इसके संवैधानिक होने पर उठाई गई चुनौती को खारिज कर दिया।
राजपक्षे के मीडिया प्रवक्ता ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति तांगाले में अपने पारिवारिक घर चले जाएंगे। वकील मनोज गमागे ने कहा कि कानून लागू होने के बाद राजपक्षे का सरकारी आवास पर 24 घंटे भी रुकने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि हालाँकि राजपक्षे ने पहले ही संपत्ति खाली कर दी है, लेकिन सरकारी संपत्ति सहित आवास को औपचारिक रूप से सौंपने में लगभग एक सप्ताह का समय लगेगा।
हाल के दिनों में कई राजनेताओं और विदेशी राजनयिकों ने विजेरामा मावथा स्थित आवास पर राजपक्षे से मुलाकात की है। इस विधेयक के तहत महिंदा राजपक्षे के अलावा पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका भंडारनायके कुमारतुंगा और मैत्रीपाला सिरिसेना को भी अपने आधिकारिक आवास खाली करने होंगे।
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