बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में ऐतिहासिक नामांकन, स्यूँसी गांव की नीलम पुरी को मिली जगह

 


देहरादून : भावपूर्ण अवसर के दौरान ग्राम स्यूँसी, बीरोंखाल, गढ़वाल से सम्बन्ध रखने वाली अनुसूचित जाति समुदाय की नीलम पुरी ने प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज से उनके सुभाष रोड स्थित कैंप कार्यालय पर शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकात उनके श्री बद्रीनाथ-श्री केदारनाथ मंदिर समिति में सदस्य के रूप में प्रथम बार मनोनीत होने के उपलक्ष्य में हुई, जिसमें उन्होंने मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया।

श्री बद्रीनाथ-श्री केदारनाथ मंदिर समिति, उत्तराखंड की धार्मिक-सांस्कृतिक संरचना में एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्था है, जो हिमालय क्षेत्र के दो प्रमुख धामों के प्रबंधन, व्यवस्था और संचालन की जिम्मेदारी निभाती है। ऐसे में नीलम पुरी का इस समिति में शामिल होना न केवल सामाजिक समावेशिता का परिचायक है, बल्कि राज्य में सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम भी है।

इस अवसर पर मंत्री सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विशेष आभार व्यक्त किया और कहा कि ग्राम स्यूँसी जैसे ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्र से पहली बार एक अनुसूचित जाति की महिला को मंदिर समिति का सदस्य मनोनीत करना सरकार की संवेदनशीलता और सामाजिक समरसता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि नीलम पुरी का मनोनयन ना केवल उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण है कि किस प्रकार शासन में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की पहल की जा रही है।

मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उस नीति के अनुरूप है जिसमें "सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास" को शासन का मूल मंत्र माना गया है। उन्होंने नीलम पुरी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी उपस्थिति समिति में निश्चित ही नए विचार, सामाजिक प्रतिनिधित्व और क्षेत्रीय दृष्टिकोण को सशक्त करेगी।

नीलम पुरी ने भी इस अवसर पर भावुकता व्यक्त करते हुए कहा कि उनके लिए यह मनोनयन न केवल व्यक्तिगत सम्मान का विषय है, बल्कि उनके समाज के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि वह पूरी निष्ठा, ईमानदारी और सेवा भावना के साथ इस दायित्व का निर्वहन करेंगी। उन्होंने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री का विशेष रूप से धन्यवाद देते हुए कहा कि यह कदम समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को सशक्त करने की दिशा में ऐतिहासिक साबित होगा।

इस मुलाकात और संवाद के दौरान धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों के अनेक प्रतिनिधि एवं समर्थक भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे ‘सामाजिक न्याय की दिशा में नई शुरुआत’ करार दिया।यह अवसर उत्तराखंड की समावेशी धार्मिक परंपरा और सामाजिक प्रगति के समन्वय का प्रतीक बन गया, जहां देवभूमि की धार्मिक संस्थाओं में विविध समाजों की सहभागिता को सम्मान और स्थान मिल रहा है।

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