राष्ट्रीय अध्यक्ष पद : सीतारमण की दावेदारी मजबूत, संगठन और अनुभव से मिला बढ़त का फायदा
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में इन दिनों संगठनात्मक स्तर पर बड़े बदलाव की प्रक्रिया जारी है। हाल ही में छह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में पार्टी प्रमुखों की नियुक्ति के बाद अब भाजपा का ध्यान राष्ट्रीय स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण पद – राष्ट्रीय अध्यक्ष – की नियुक्ति पर केंद्रित हो गया है। वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में समाप्त होना था, लेकिन लोकसभा चुनावों की दृष्टि से इसे 2024 तक बढ़ा दिया गया था ताकि वे पार्टी का चुनावी नेतृत्व कर सकें। अब जबकि चुनाव समाप्त हो चुके हैं, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में इस पद के नए उत्तराधिकारी को लेकर गहन मंथन चल रहा है।
सूत्रों के अनुसार इस बार पार्टी की कमान एक महिला नेता को सौंपी जा सकती है, जो भाजपा के इतिहास में पहली बार होगा। इस कदम को महिलाओं के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता और महिला आरक्षण विधेयक को लेकर गंभीरता के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि जिन नामों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है, उनमें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सबसे प्रमुख दावेदारों में से हैं। उन्होंने हाल ही में पार्टी मुख्यालय में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष से मुलाकात की थी। यह मुलाकात बदलाव की अटकलों को और तेज कर गई।
निर्मला सीतारमण का नाम न केवल उनके मंत्री पद के व्यापक अनुभव के कारण आगे बढ़ रहा है, बल्कि दक्षिण भारत में भाजपा की सियासी पकड़ को मज़बूत करने की रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है। वित्त मंत्री होने के साथ ही वे पहले रक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं और पार्टी के सबसे हाई-प्रोफाइल चेहरों में गिनी जाती हैं। यदि उन्हें अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जाती है, तो यह न केवल एक ऐतिहासिक नियुक्ति होगी, बल्कि भाजपा के भीतर नेतृत्व में लैंगिक संतुलन की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जाएगा।
निर्मला सीतारमण के अलावा डी. पुरंदेश्वरी का नाम भी गंभीर चर्चा में है। वे आंध्र प्रदेश में भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं और राष्ट्रीय राजनीति में उनकी मजबूत पहचान है। उनकी बहुभाषी दक्षता और कांग्रेस से भाजपा में आने का अनुभव उन्हें राजनीतिक रूप से लचीला और विविध पृष्ठभूमि से जोड़ता है। उनकी नियुक्ति से पार्टी को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में आधार मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
एक अन्य संभावित नाम तमिलनाडु की वनाथी श्रीनिवासन का है, जो फिलहाल कोयंबटूर दक्षिण से विधायक हैं। वह 1993 से भाजपा के साथ जुड़ी हुई हैं और पार्टी के विभिन्न संगठनों में लगातार ऊपर चढ़ती रही हैं। वह राज्य सचिव, महासचिव और तमिलनाडु इकाई की उपाध्यक्ष जैसी जिम्मेदारियां संभाल चुकी हैं। श्रीनिवासन को जमीनी संगठनात्मक अनुभव और दक्षिण भारत में बढ़ती लोकप्रियता का लाभ मिल सकता है।
इन तीनों महिला नेताओं की संभावित नियुक्ति पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा भी मानी जा रही है जिसके तहत भाजपा दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। साथ ही, महिलाओं को नेतृत्व में अधिक प्रतिनिधित्व देने की दिशा में भी यह कदम बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। हालांकि अंतिम निर्णय किसके पक्ष में जाएगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस बात को लेकर राजनीतिक गलियारों में उत्सुकता बनी हुई है कि क्या भाजपा को उसकी पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने जा रही है।
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