शाही ईदगाह विवाद पर कोर्ट का बड़ा निर्णय, याचिका खारिज

 


मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े संवेदनशील मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की गई थी। यह याचिका श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मूल गर्भगृह को तोड़कर किया गया है।

याचिका में बाबरी मस्जिद मामले की तर्ज पर शाही ईदगाह को भी विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की गई थी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत में हुई। इससे पहले कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और निर्णय के लिए चार जुलाई की तारीख निर्धारित की थी।

मुस्लिम पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में लिखित आपत्ति दर्ज कराई थी। उनके अनुसार, इस तरह की मांग न केवल ऐतिहासिक तथ्यों के खिलाफ है, बल्कि इससे समाज में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बीच पहले से समझौता हुआ था, जिसे अदालत में भी मान्यता दी गई थी।

हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रस्तुत याचिका में ऐसा कोई ठोस आधार नहीं है जिससे शाही ईदगाह को विवादित ढांचे के रूप में घोषित किया जा सके। इस निर्णय के बाद हिंदू पक्ष को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि वे इस मुद्दे को बाबरी मस्जिद के समान महत्व देकर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे।

यह मामला लंबे समय से अदालत में विचाराधीन है और मथुरा की सामाजिक-सांस्कृतिक भावना से गहराई से जुड़ा हुआ है। अदालत के इस फैसले से स्पष्ट संकेत मिला है कि न्यायिक प्रक्रिया तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित होगी, न कि भावनात्मक दावों पर।

इस फैसले के बाद दोनों पक्षों की प्रतिक्रिया का इंतजार है, जबकि स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं ताकि किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक अशांति न फैले। अदालत के इस निर्णय ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह से जुड़े विवाद को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।

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