आतंकवाद महामारी है, इसे अपनी मौत मरने नहीं देंगे: राजनाथ

 


देहरादून: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वास जताया कि एक दिन पूरा कश्मीर एक होगा और जल्द ही पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भी खुद को भारत का हिस्सा मानेगा। उन्होंने कहा कि वह इस प्रक्रिया की विस्तार से चर्चा अभी नहीं करेंगे, लेकिन उन्हें पूरा विश्वास है कि लोग स्वयं कश्मीर को एक होते देखेंगे। अमर उजाला के संवाद कार्यक्रम में 'राष्ट्र रक्षा का संकल्प' विषय पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति और सैन्य आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों पर विस्तृत चर्चा की।

रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर में विकास की प्रक्रिया को बाधित नहीं कर पा रहा है, यही कारण है कि उसने हाल ही में पहलगाम में हमला करवाया, जिसमें धर्म पूछकर लोगों को निशाना बनाया गया। उन्होंने इसे न केवल 26 निर्दोषों पर हमला बताया, बल्कि भारत की एकता और अखंडता पर सीधा प्रहार करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का आतंकवाद के खिलाफ रुख अब पहले से कहीं ज्यादा निर्णायक और आक्रामक है, जिसका प्रमाण हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में देखने को मिला।

उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है, केवल सैन्य कार्रवाई रुकी है, लेकिन सूचना युद्ध अभी जारी है। राजनाथ सिंह ने कहा कि आज के युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि सूचना और विचारों के माध्यम से भी लड़े जा रहे हैं। पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के दौरान झूठी खबरें फैलाने की कोशिश की, जिन पर भारत में भी कुछ लोगों ने विश्वास किया। उन्होंने इसे मनोवैज्ञानिक युद्ध करार देते हुए कहा कि इस तरह के झूठे प्रचार से भारत के नागरिकों को सावधान रहना होगा और हर व्यक्ति को एक सामाजिक योद्धा की भूमिका निभानी होगी।

रक्षा मंत्री ने मीडिया से भी अपील की कि वायरल करने से पहले सत्यापन को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि सूचना का सही आदान-प्रदान तभी संभव है जब समाचारों की प्रमाणिकता की जांच की जाए।आतंकवाद को लेकर उन्होंने कहा कि यह एक वैश्विक महामारी है, जिसे सिर्फ नजरअंदाज कर समाप्त होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। भारत पहले ही जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के ठिकानों पर सीधा हमला कर यह स्पष्ट कर चुका है कि अब केवल आतंकवादियों को नहीं, बल्कि उनके पूरे ढांचे को निशाना बनाया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि दुनिया एकजुट नहीं हुई तो जल्द ही यह महामारी पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले सकती है।कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए आने वाले वर्षों में भारत की घरेलू कंपनियों की भूमिका निर्णायक होगी। सरकार ने तय किया है कि रक्षा उपकरणों की आपूर्ति में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए घरेलू उद्योगों को प्राथमिकता दी जाएगी।

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